गर्भपात के दौरान खुला मामला
बता दें कि 14 अगस्त 2020 को नरेंद्र गर्भवती किशोरी का गर्भपात कराने उसे डॉक्टर के पास ले गया था। इस दौरान किशोरी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। तब आरोपी उसे अस्पताल में छोड़कर वहां ने भाग निकला। जब इसकी जानकारी परिजनों को लगी तो वह अस्पताल पहुंच गए। पूरा मामला पुलिस को बताते हुए किशोरी के पिता ने नरेंद्र के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। सबूतों के आधार पर आरोपी दोषी
मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश विशेष पॉक्सो एक्ट तृतीय ईश्वर सिंह की अदालत में चल रही थी। अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी बसंत सिंह सैनी पैरवी कर रहे थे। मंगलवार को कोर्ट ने मुकदमे में आखिरी सुनवाई की। साक्ष्यों और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी नरेंद्र को दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।