ये हैं फैटी लीवर के लक्षण
अभी के समय में ऐसे केस आ रहे हैं कि जिन्होंने कभी अल्कोहल का सेवन नहीं किया है, फिर भी उन मरीजों में फैटी लीवर डिसीज है। ऐसे मरीजों को नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीज की श्रेणी में रखा जाता है । जिसका मुख्य कारण मोटापे का बढ़ना है।
लिवर को नुकसान पहुंचाने में वायरस ( हेपिटाइटिस वायरस), अल्कोहल एवं फैट (मोटापा ) का मुख्य योगदान रहता है । व्यस्त दिनचर्या और अनियमित खानपान के कारण है। फैटी लीवर होने के कारण मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। जिससे डायबिटीज, कैंसर और हार्ट अटैक का खतरा बहुत बढ़ जाता है । साइलेंट अटैक के केस बहुत अधिक संख्या में देखने में आ रहे हैं ।जिसका एक कारण फैटी लिवर हो सकता है।
क्या हैं इसके उपाय
कम से कम 150 मिनट हर हफ्ते फिजिकल एक्टिविटी करें (30 मिनट प्रतिदिन व सप्ताह में 5 दिन), नियमित खानपान, जल्दी सोना एवं सूर्योदय से पूर्व जागना जरुरी है। वजन को 10 प्रतिशत प्रति वर्ष कम करके फैटी लीवर को सामान्य लीवर कर सकते हैं।