सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की नई गाइडलाइन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने यह SOP सुप्रीम कोर्ट में पेश की है। इसका मकसद है सड़क हादसों को कम करना और ट्रैफिक सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी और सख्त बनाना। खास बात यह है कि अब पूरे देश में ट्रैफिक नियमों की निगरानी ऑटोमेटिक कैमरा सिस्टम के जरिए की जाएगी, जो हर गाड़ी की हरकत पर नजर रखेगा।
हाई-स्पीड कैमरे करेंगे नियमों पर निगरानी
इस SOP का सबसे दिलचस्प पहलू है कि अब जो कैमरे लगाए जाएंगे, वे इतने एडवांस होंगे कि 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती गाड़ी को भी बिना धुंधलेपन के रिकॉर्ड कर सकेंगे। चाहे कोई गाड़ी कितनी भी तेज भागे, कैमरे से बच नहीं पाएगी। हर नियम उल्लंघन का वीडियो सबूत अब डिजिटल रूप में सेव रहेगा। ये भी पढ़ें- लोन पर ली थी Electric Car, सर्विस सेंटर पर जलकर खाक, इंश्योरेंस कंपनी ने झाड़ा पल्ला, अब युवक भर रहा EMI किन-किन नियमों पर होगी खास नजर?
इस नई व्यवस्था में कई कॉमन लेकिन गंभीर उल्लंघनों को शामिल किया गया है।
बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाना कार में सीट बेल्ट न पहनना रॉन्ग साइड ड्राइविंग गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करना ड्राइव करते वक्त खाना-पीना या लापरवाही दिखाना इन सभी हरकतों को अब कैमरे रिकॉर्ड करेंगे और उसी आधार पर रीयल-टाइम में चालान भेजा जाएगा।
वीडियो सबूत के बिना चालान नहीं
नई गाइडलाइन के मुताबिक, चालान तभी वैध माना जाएगा जब उसमें कम से कम 1 सेकंड और अधिकतम 10 सेकंड का वीडियो सबूत शामिल हो। वीडियो में साफ-साफ गाड़ी की नंबर प्लेट, दिनांक, समय और लोकेशन दिखनी चाहिए। कोई धुंध या ब्लर इमेज नहीं चलेगी। यानी हर चालान को अब तकनीकी तौर पर भी मजबूत बनाना अनिवार्य होगा।
चालान प्रक्रिया होगी पूरी तरह ऑटोमेटिक
अब चालान भेजने के लिए किसी इंसानी निगरानी की जरूरत नहीं होगी। जैसे ही कोई नियम तोड़ेगा, कैमरे में लगे सेंसर्स और AI तकनीक इसे पहचान लेगी और तुरंत ट्रैफिक विभाग को अलर्ट भेजेगी। इतना ही नहीं, सिस्टम ये भी समझेगा कि सामने से आ रहा वाहन कोई आम गाड़ी है या इमरजेंसी वाहन जैसे एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड, ताकि बेवजह का चालान न कटे। ये भी पढ़ें- Electric Scooter Fire: गर्मियों में इलेक्ट्रिक स्कूटी में हो सकता है ब्लास्ट! इन 5 सेफ्टी हैबिट्स से करें बचाव गलत नंबर-पता देने पर अब कार्रवाई तय
कई बार देखा गया है कि लोग चालान से बचने के लिए गलत मोबाइल नंबर या एड्रेस अपडेट कर देते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने वाहन मालिकों को तीन महीने का समय दिया है, जिसमें उन्हें अपनी जानकारी अपडेट करनी होगी। इसके बाद अगर किसी की डिटेल्स गलत पाई गईं तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।