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बैंगलोर

तीन ग्रहों के शुभ संयोग में मनेगी महाशिवरात्रि

बेंगलूरु. फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 26 फरवरी को विशेष खगोलीय संयोग के साथ आ रहा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। इस साल महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही […]

बैंगलोरFeb 22, 2025 / 05:57 pm

Bandana Kumari

Shiv Puja on Monday

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बेंगलूरु. फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 26 फरवरी को विशेष खगोलीय संयोग के साथ आ रहा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। इस साल महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही बुधादित्य और त्रिग्रही योग भी बन रहा है। पंडितों के अनुसार इस दिन तीन ग्रह कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।
पंडित बीरेंद्र कुमार पांडेय, पं. कमलेश कुमार तिवारी, पं. प्रभात मिश्र और पं. राजेंद्र उपाध्याय ने ऋषिकेश पंचांग के आधार पर बताया कि 26 फरवरी को सुबह 10:05 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, शनि और बुध एक साथ विराजमान होंगे, जिससे त्रिग्रही योग बनेगा। पंडितों के अनुसार एक साथ तीनों ग्रहों का होना संसार के लिए कल्याणकारी होगा। वहीं, मीन राशि में राहु और शुक्र गोचर करेंगे। पंडितों के अनुसार सूर्य और बुध का संयोग बुधादित्य योग बनाता है, जो सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास का कारक है। यह योग ऐश्वर्य, शांति और सौंदर्य भी प्रदान करता है।
इसके अलावा, मन का कारक और भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराजमान रहने वाला चंद्रमा दिन भर मकर राशि और रात्रि में कुंभ राशि रहेगा। चंद्रमा शांति, सौम्यता, सुख और स्वास्थ्य का दाता माना जाता है, जो भक्तों के लिए विशेष फलदायी होगा। पंडितों के अनुसार इस बार यह पर्व बुधवार को पड़ रहा है, जिससे भक्तों को दोगुना पुण्य प्राप्त होगा। महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र और परिघ योग का संयोग रहेगा। इस योग में भगवान शिव के मंत्रों का जाप अत्यंत शुभ और सफलता देने वाला माना जाता है। परिघ योग में नए कार्य शुरू करने पर पूर्ण सफलता मिलती है।

जागरण, उपवास और पूजा का विशेष महत्व

पंडितों के अनुसार, महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा और जागरण करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन उपवास, रुद्राभिषेक और शिव परिवार की षोडशोपचार पूजा का विधान है। महाशिवरात्रि में चार प्रहर की पूजा का भी महत्व भी होता है। पंडितों के अनुसार चार प्रहर की पूजा करने वालों को पहले प्रहर में जल, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही चंदन, गुलाब जल, भस्म और तिलक से भोलेनाथ का श्रृंगार करना शुभ होता है। पंडितों का कहना है कि महाशिवरात्रि का यह संयोग भक्तों के लिए आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ लेकर आएगा। भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होगी।

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