घटना चामराजनगर जिले के होम्मा गांव के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की है। स्कूल में नामांकित 22 छात्रों में से 21 छात्रों के माता-पिता ने अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है। वर्तमान में स्कूल में केवल एक छात्र और 2 शिक्षक हैं।
मुख्य रसोइया और रसोई कर्मचारियों के अनुसार 22 छात्रों में से केवल सात ही स्कूल में तैयार मध्याह्न भोजन खाते थे। एक दलित महिला को मुख्य रसोइया नियुक्त किए जाने से अभिभावक नाराज थे।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जाति-आधारित पूर्वाग्रह के कारण अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया। 22 छात्रों में से 12 ने पहले ही स्थानांतरण प्रमाण पत्र ले लिया है। 9 अन्य ने स्थानांतरण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है।सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल होने के बाद जिला प्रशासन बुधवार को स्कूल पहुंचा और शिक्षकों तथा अभिभावकों के साथ कई बैठकें कीं। शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने भी स्कूल का दौरा किया।
चामराजनगर की पुलिस अधीक्षक बी.टी. कविता, जिला पंचायत की मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोना रोत और सार्वजनिक शिक्षा उप निदेशक रामचंद्र राजे उर्स ने व्यक्तिगत रूप से अभिभावकों और शिक्षकों से इस घटनाक्रम के बारे में बात की।अभिभावकों ने रोत को बताया कि स्कूल में शिक्षण की खराब गुणवत्ता के कारण उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है।