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बैंगलोर

वनों की सुरक्षा करने वालों की खुद की जिंदगी असुरक्षित

फॉरेस्ट वाचर्स को एक सुरक्षित जगह की जरूरत है, जहां वे घूमते बाघों और तेंदुओं, चारा तलाशते हाथियों और रेंगते सांपों से सुरक्षित रह सकें। दुर्भाग्य से, वे दयनीय परिस्थितियों में रहते हैं, जबकि मुश्किल से मैदान पर जाने वाले अधिकारी सभी सुख-सुविधाओं को साथ आराम से रहते हैं।

बैंगलोरJun 27, 2025 / 11:58 am

Nikhil Kumar

– फॉरेस्ट वाचर्स की दयनीय स्थिति चिंताजनक

वनों की सुरक्षा Forest Safety और वनों से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखने वाले महत्वपूर्ण फॉरेस्ट वाचर्स Karnataka Forest Watchers बेहद दयनीय परिस्थितियों में अपनी सेवाएं देने के लिए मजबूर हैं। जान जोखिम में डाल वनों की सुरक्षा करने वाले इन पैदल सैनिकों की खुद की जिंदगी खतरे में है। एंटी पोचिंग शिविरों ही हालत खस्ता है। बारिश के दौरान छत से पानी टपकता है। वन विभाग के पास दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। भुगतान में अक्सर तीन महीने की देरी होती है।
उचित माहौल नहीं

कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने बताया कि वन विभाग के पास रेंज वन अधिकारियों, सहायक वन संरक्षक और वन संरक्षक के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर शानदार कार्यस्थल उपलब्ध कराने के लिए धन है। लेकिन, फॉरेस्ट वाचर्स को एंटी पोचिंग शिविरों Anti Poaching Camps में रहने के लिए उचित माहौल उपलब्ध कराने के लिए धन नहीं है।
ये अगर पैदल गश्त न करें तो…

उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट वाचर्स ही वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा Wildlife Safety करते हैं। मानव-पशु संघर्ष को कम करने में अहम योगदान देते हैं। ये अगर पैदल जंगलों में गश्त न करें तो वन्यजीव तस्करों और शिकारियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे। फॉरेस्ट वाचर्स को एक सुरक्षित जगह की जरूरत है, जहां वे घूमते बाघों और तेंदुओं, चारा तलाशते हाथियों और रेंगते सांपों से सुरक्षित रह सकें। दुर्भाग्य से, वे दयनीय परिस्थितियों में रहते हैं, जबकि मुश्किल से मैदान पर जाने वाले अधिकारी सभी सुख-सुविधाओं को साथ आराम से रहते हैं।
तीन करोड़ से अधिक खर्च

हूवर ने आरोप लगाया कि हाल ही में फील्ड डायरेक्टर के कार्यालय को मेलकमनहल्ली में स्थानांतरित करने और रेंज वन अधिकारी के आराम के लिए पुराने कार्यालय के नवीनीकरण पर तीन करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं।
कुछ ने की कोशिश

वन विभाग के पास पर्यटक कॉटेज के जीर्णोद्धार के लिए पैसे हैं। बंडीपुर टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन के फंड बेकार की परियोजनाओं पर खर्च किए जाते हैं। लेकिन, एंटी पोचिंग शिविरों को बेहतर बनाने और फॉरेस्ट वाचर्स की सुरक्षा के लिए धन की कमी है। कुछ अधिकारियों ने अपने कार्यकाल के दौरान बदलाव लाने की कोशिशें कीं। लेकिन, विशेष सफलता नहीं मिली।
14-16 घंटे लगातार काम

एक फॉरेस्ट वाचर ने कहा, कुछ वन क्षेत्रों में, पेयजल और बेहतर उपकरण जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। हम 14-16 घंटे लगातार काम करते हैं और अवैध गतिविधियों की जांच के लिए जंगलों में किलोमीटर दर किलोमीटर पैदल चलते हैं। हमें अधिकारियों का भी ध्यान रखना पड़ता है। अक्सर, हम आगे की कतार में होते हैं। हर समस्या के लिए हमें ही सबसे पहले जिम्मेदार ठहराया जाता है। राजनेताओं और स्थानीय ग्रामीणों के क्रोध का सामना करना पड़ता है।

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