यह है योजना
योजना के तहत सिंचाई और खाद छिड़काव को क्रमश : ऑटोमेशन और फर्टिगेशन की आधुनिक पद्धति से जोडऩे का प्रयास होगा। किसानों को सिर्फ सिंचाई के लिए ऑटोमेशन, खाद छिड़काव के लिए फर्टिगेशन और सिंचाई एवं फर्टिलाइजर के लिए ऑटोमशन एवं फर्टिगेशन के विकल्प भी दिए गए हैं। जब कि समुदाय आधारित कृत्रिम बुद्धिमता समाधान के लिए कुछ जिलों को चयनित किया गया है।साहब! हम सक्षम हैं, खाद्य सुरक्षा योजना में हम मुफ्त के गेहूं नहीं ले सकते
ऐसे समझे ऑटोमेशन प्रणाली
ऑटोमेशन स्वाचालित प्रणाली से सिंचाई अपनेआप होती है। कंट्रोलर, सेंसर सोलोनाइड वॉल्व, फिल्टर्स व अन्य युक्तियों के जरिए ड्रिप सिंचाई संयंत्रों का स्वचालन होता है। श्रम बचत के साथ ही पानी व पोषक तत्वों की इच्छित मात्रा व समय पर पौधों को प्राप्त होती है। इससे उत्पादन मात्रा एवं गुणवत्ता में प्रभावी इजाफा होता है।किसानों को यह फायदा –
- किसानों का काम सहज होगा
- सिंचाई के लिए समय और पानी की मात्रा का ज्ञान रहेगा
- नियंत्रित सिंचाई होने से सीपेज और ओवरफ्लो से निदान मिलेगा
- दवा छिड़काव की मात्रा, समय आदि की जानकारी मिलेगी
- सिंचाई और खाद छिड़काव के लिए किसानों को खेत तक जाने की जरूरत खत्म होगी
इन 10 जिलों में सबसे ज्यादा लगेंगे संयंत्र
जिला : ऑटोमशन भूमि क्षेत्र (हे.) : फर्टि. भूमि क्षेत्र (हे.)जालोर : 271:165
संभाग में इतने हेक्टेयर की अनुमति –
जिला : ऑटोमशन भूमि क्षेत्र (हे.) : फर्टि. भूमि क्षेत्र (हे.) बांसवाड़ा :23:1उदयपुर : 27:6 डूंगरपुर :15:2
प्रतापगढ़ : 59:17 (भूमि क्षेत्र हेक्टेयर में )
फैक्ट फाइल
- 2500 हेक्टेयर में पूरे प्रदेश में लगाई जाएगी ऑटोमशन प्रणाली
- 1393 हेक्टेयर में फर्टिगेशन के लिए करेंगे काम
- 737.74 लाख रुपए ऑटोमेशन के लिए पूरे प्रदेश के खर्च करेगी सरकार
- 767.38 लाख रु. फर्टिगेशन का बजट