कृषकों से की समझाइश इस दौरान किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया। टीम ने समझाया कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरकता भी घटती है और स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है। प्रशासन ने किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों जैसे मल्चर, रोटावेटर, कटर आदि के उपयोग के लिए प्रेरित किया। प्रशासन ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं और पर्यावरण की सुरक्षा में प्रशासन का सहयोग करें। राज्य सरकार पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है, दनका लाभ उठाकर किसान जिम्मेदारी के साथ कृषि कार्य करें।
सख्त कार्रवाई करने की दी चेतावनी प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि पराली जलाने की घटनाओं पर भविष्य में और अधिक कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए क्षेत्र में निगरानी बढ़ाई जाएगी और दोषियों पर जुर्माने के साथ-साथ कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।