जिला वन मंडल अधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि शनिवार को क्षेत्रीय वन अधिकारी हरिराम चौधरी ने 6 रेंज की 15 महिला वनकर्मियों सहित 100 वन कर्मियों के भारी लवाजमे के साथ 3 जेसीबी मशीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। अतिक्रमियों ने वन भूमि पर कई किलोमीटर की चारदीवारी कर रखी थी। कई अतिक्रमियों ने बाड़े, फार्म हाउस तक बना रखे थे। वन भूमि पर नलकूप खुदवा रखे थे। लाठखेड़ा में तो वन भूमि पर बेतहाशा अतिक्रमण था। अतिक्रमियों ने निकलने के रास्तो पर अतिक्रमण कर बंद तक कर दिए थे। ग्रामीणों ने भी कई बार शिकायत की। विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए जेसीबी मशीन से पत्थर चार दीवारियां ध्वस्त कर जब्त कर लिया है। कई अतिक्रमियों की भूमि पर जेसीबी से ट्रेंचें खोद दी गई हैं। कदीली के समीप खेरंका क्लोजर व बंजारा बस्ती के निकट भी वन भूमि से अतिक्रमण हटा कर जेसीबी से ट्रेंचें खोदी गई है। जलवाड़ा नाका में भी कुछ अतिक्रमियों की पत्थर चार दीवारी ध्वस्त कर वन भूमि पर ट्रेंचे खोदी गई।
कार्रवाई के दौरान लोगों को आने से रोका वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के दौरान बड़ी संख्या में कदीली, लाठखेड़ा व किशनपुरा गांव के लोग भी मौजूद थे। सतर्क जाप्ते ने किसी को कार्यवाही स्थल के समीप तक नहीं आने दिया। विभाग ने 700 बीघा वन भूमि से अतिक्रमण हटाया। अतिक्रमी कार्यवाही रुकवाने के लिए जन प्रतिनिधियों को फोन लगाते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दबंग अतिक्रमियों ने अपने रसूख से उच्च अधिकारियों पर दबाव डाल कर कार्यवाही रुकवाने का भरसक प्रयास किया। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने ²ढता से कार्रवाई को अंजाम दिया। इससे पशुपालकों व ग्रामीणों में खुशी लहर है। क्षेत्रीय वन अधिकारी हरिराम चौधरी ने बताया कि जब्त पत्थरो को उठा कर निर्माणाधीन क्लोजर में लगाएंगे।
ये जाप्ता रहा मौजूद
नाहरगढ़ रेंज के किशनपुरा नाके में प्रभावशाली अतिक्रमियों के अतिक्रमण हटाने के दौरान जिला वन मंडल अधिकारी अनिल कुमार यादव, क्षेत्रीय वन अधिकारी हरिराम चौधरी, छबड़ा क्षेत्रीय वन अधिकारी भरत राठौड़, शाहाबाद क्षेत्रीय वन अधिकारी राजेंद्र मेघवाल, केलवाड़ा क्षेत्रीय वन अधिकारी दीपक चौधरी सहित किशनगंज, छबड़ा, छीपाबड़ौद, शाहाबाद, केलवाड़ा व नाहरगढ़ रेंज के 100 वन कर्मियों सहित 15 महिला वनकर्मी तथा पुलिस जाप्ता मौजूद रहा।
बस गई बस्तियां, बन गए पीएम आवास रेंज के किशनपुरा नाके में तीन दशक तक सघन जंगल था। बाद में विभाग के ध्यान नहीं देने के कारण धीरे-धीरे वन भूमि पर बस्तियां होती चली गई। लाठखेड़ा, बंजारा बस्ती व शाहपुरा बस्ती बस गई। इन बस्तियों में बसे लोगो ने ही अवैध खेती के लिए जंगल का विनाश किया है। वन भूमि दर्जनों प्रधानमंत्री आवासों का अवैध निर्माण भी हो गया है।