ईआरसीपी है वरदान पार्वती नदी के जल से प्रदेश के 13 जिलो की तकदीर बदलने वाली महत्वाकांक्षी योजना ईआरसीपी की कवायद की जा रही है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान के लिए जीवनदायिनी होगी। योजना के लिए कार्य को गति देते हुए 9 हजार 416 करोड़ रुपए के कार्यादेश भी दिए जा चुके हैं। 12 हजार 64 करोड़ रुपए की निविदाएं जारी की जा चुकी हैं। वहीं 12 हजार 807 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की गई है। ईआरसीपी के तहत पार्वती नदी पर महलपुर बैराज व कूल नदी पर रामगढ़ बैराज का निर्माण की कवायद की जा रही है। महलपुर बैराज की भराव क्षमता 255.41 एमसीयूएम व रामगढ़ बैराज की भराव क्षमता 45.30 एमसीयूएम की होगी। इस योजना के तहत बारां जिले से बीसलपुर बांध तथा ईसरदा डेम तक पानी पहुंचाया जाएगा। यह परियोजना 45 हजार करोड़ से अधिक की योजना है। जिले में विभिन्न ङ्क्षसचाई परियोजनाओ के सर्वे के लिए 4.50 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई है। सरकार की मंशा है कि बैथली बांध को पार्वती नदी के पानी से भरा जाए। बारिश में यह पूरी तरह से नहीं भर पाता है। यदि यह योजनाएं मूर्त रुप लेती हैं तो भविष्य में हजारों हैक्टेयर कृषि भूमि ङ्क्षसचित हो सकेगी। इसके साथ ही पेयजल के लिए भी पानी मिल सकेगा। विभिन्न सरकारी ङ्क्षसचाई माध्यमों से करीब 80 हजार हैक्टेयर में वर्तमान में भूमि ङ्क्षसचित की जाती है। यूं तो जिले में छोटे बड़े कुल 18 बांध मौजूद है। लेकिन बारिश में कई बांध पूरे भरने से शेष रह जाते हैं। वहीं कई बांधों का कायाकल्प हो तो भविष्य की योजनाओं का सशक्त आधार बनेंगे। हालांकि ङ्क्षसचाई व पेयजल योजनाओं को लेकर जिले में वृहद स्तर पर प्रारुप व क्रियान्विति की जा रही है। आने वाले समय में व्यर्थ बहकर निकल जाने वाले बरसात के पानी का उपयोग हो पाएगा। जिले की महत्वाकांक्षी योजना परवन ङ्क्षसचाई योजना के तहत अब तक करीब 67 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है। इस परियोजना से जिले के जहा 250 से अधिक गांवों की हजारों हैक्टेयर भूमि को ङ्क्षसचाई की सुविधा मिलेगी वहीं सैकड़ों गांव व कस्बों को पेयजल भी उपलब्ध हो पाएगा।