इनका हुआ चयन परियोजना में प्रोजेक्ट बिलास सागर, उम्मेद सागर, परवन परियोजना व गणेशगंज लिफ्ट परियोजना का चयन किया जाकर इस क्षेत्र के कृषकों को ङ्क्षसचाई जल के उचित उपयोग के लिए प्रशिक्षणों का आयोजन किया गया। इसमें 5 हजार कृषकों को प्रशिक्षित कर सूक्ष्म ङ्क्षसचाई संयंत्र की जानकारी दी गई। साथ ही सूक्ष्म ङ्क्षसचाई संयंत्रों के उचित उपयोग में लेने वाले कृषकों को फव्वारा संयंत्र, बून्द-बून्द ङ्क्षसचाई, मिनी स्प्रिंकलर क्रय करने पर जापान सरकार के माध्यम से 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए गए। इस योजना के माध्यम से जिले के लगभग 2800 कृषकों को लाभान्वित किया गया।
पानी की होती है बचत फव्वारा संयंत्र द्वारा पानी की 60 प्रतिशत, मिनी स्प्रिंकलर के माध्यम से ङ्क्षसचाई करने पर 80 प्रतिशत व बून्द-बून्द ङ्क्षसचाइ संयंत्र के माध्यम से ङ्क्षसचाई करने पर 80 से 90 प्रतिशत पानी की बचत होती है। पानी की बचत के माध्यम से ङ्क्षसचाई परियोजनाओं की क्षमता भी मे वृद्धि हुई है, इससे परियोजना की ङ्क्षसचाई में लगभग 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
देशी खाद बना रहे किसान हुकमचन्द अपने फार्म पर 15 वर्मी कम्पोस्ट बेड में वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहे हैं। उनके वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता को देख जापानी वैज्ञानिको द्वारा भी वर्मी कम्पोस्ट निर्यात पर चर्चा की एवं इनके द्वारा तैयार किए गए वर्मी कम्पोस्ट को किसी अन्य को नहीं दिया जाता। इसे जापान सरकार से क्रय करवाने के लिए आश्वासन दिया गया। कृषक ने उच्च तकनीक से 0.4 हैक्टेयर क्षेत्र में बेंगन की खेती, इतने ही क्षेत्र में टमाटर व आलू की बुवाई कर रखी है।
कृषि यन्त्र पर अनुदान कृषकों को उन्नत तकनीक से कृषि के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हंै। इसमें रोटावेटर, डिस्क हैरो, उच्च तकनिकी से लहसुन बुवाई की सीड ड्रिल उपलब्ध करवाई जाती है। इसको कृषकों द्वारा प्रोजेक्ट क्षेत्र मे उपयोग कर बुवाई मे अधिक लहसुन का उपयोग होता था, उससे बचाया गया।
सब्जियों व मसाला खेती का प्रदर्शन जापान सरकार के माध्यम से परियोजना मे किसानो को सब्जीयो, मसाला खेती आदि के फसल प्रदर्शन से 200 कृषकों को लाभान्वित किया गया। परियोजना के संचालन के लिए किसानों ने स्वयं प्रेरित होकर 48 कृषक हित समूह का गठन किया गया। इन कृषकों को परियोजना की सहायता से ही प्रशिक्षित किया तथा इन कृषकों ने समूहो को ही परियोजना की गतिविधियों के लाभ से लाभान्वित हुए। जिले के किसानों को बागवानी कृषि से जोडऩे के लिए विभाग द्वारा कई प्रशिक्षणों का आयोजन कर रहा है। इसमें उनको फायदों के साथ ही अन्य जानकारियों से अवगत करवाया जा रहा है। इसके चलते वर्ष 2024 में करीब 10 से 12 हजार किसानों को बागवानी से जोडऩे के प्रयास किए गए हैं। सामान्य खेती के साथ ही बागवानी से किसान अतिरिक्त आय का साधन जुटाने लगे हैं।
सुधरा किसानों का जीवन स्तर परियोजना में प्रशिक्षित कृषकों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। उनके द्वारा परम्परागत खेती से हटकर आधुनिक तकनीक से कृषि करने लगे हंै। इससे कई कृषकों ने प्रगति की है। ग्राम अमलावदा के कृषक हुकमचन्द प्रजापत ने उन्नत उद्यान की तकनिकी को अपनाकर गुणवत्ता युक्त कृषि से 1.5 हैक्टेयर भूमि पर उन्नत उद्यान की विधि से बून्द-बून्द ङ्क्षसचाई संयंत्र लगाया है। किसान ने सर्दी के मौसम में तरबूज व खरबूज की खेती की है। इन तरबूज व खरबूज को बचाने के लिए प्लास्टिक मल्च पर लोटलन लगाकर जनवरी की तेज सर्दी मे उन्नत विधि अपनाकर अच्छे बाजार भाव से पैसे कमाए हैं। जापानी वैज्ञानिकों व 8 राज्यों के अधिकारियों ने भ्रमण करके किसान की खेती को देख प्रशंसा की।
जिले में बागवानी की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। कम कृषि भूमि से अधिक मुनाफा किसान ले रहे है। सामान्य खेती के साथ ही बागवानी से किसान अतिरिक्त आय का साधन जुटाने लगे हैं। 2024 में करीब 12000 किसानों को बागवानी से जोड़ा गया है।
आनन्दीलाल मीणा, उप निदेशक उद्यान विभाग