पुलिस महकमे में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के मकसद से एसएसपी अनुराग आर्य ने दर्पण नाम से नई पहल की शुरुआत की थी। इसके तहत फरियादी और विवेचक को आमने-सामने बैठाकर जांच की गुणवत्ता की समीक्षा की जा रही है। गुरुवार को कुल 47 मामलों की समीक्षा की गई, जिसमें 24 की वर्चुअल मीटिंग और शेष में सीधी सुनवाई हुई। इस दौरान कई शिकायतों में यह बात सामने आई कि विवेचकों ने गवाहों के बयान तक नहीं लिए, कई मामलों में अभियुक्त खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस ने अब तक गिरफ्तारी नहीं की।
ये हैं लापरवाही के चार बड़े मामले
-थाना आंवला का केस 69/2025- दहेज उत्पीड़न के इस मामले में महिला ने 10 जुलाई को एसएसपी कार्यालय में शिकायत दी थी कि पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया। सुनवाई में आरोप सही पाए गए। पूर्व विवेचक उपनिरीक्षक बलवीर सिंह, आकाश कुमार, सत्यवीर सिंह और महिपाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। -एक अन्य केस 182/2025- घरेलू हिंसा और छेड़छाड़ की शिकायत में पूर्व विवेचक ओमपाल सिंह पर आरोप है कि उन्होंने पीड़िता और गवाह के बयान तक नहीं लिए। एसएसपी ने उनके खिलाफ भी जांच बैठा दी है।
-गायब युवती का मामला- एक महिला ने शिकायत की थी कि उसकी बेटी को प्रताड़ित कर गायब कर दिया गया है। जब जांचकर्ता जय सिंह निगम को पीड़िता के सामने बैठाया गया तो पता चला कि गुमशुदगी की जांच में भारी ढिलाई बरती गई। अब देवरनिया और नवाबगंज थानों के जनसुनवाई अधिकारियों पर भी जांच की गाज गिरी है।
-थाना कोतवाली का अपहरण केस- केस नंबर 68/2025 की जांच फरवरी से लंबित है। पीड़िता अब तक बरामद नहीं हो सकी है। पूर्व विवेचक योगेंद्र कुमार की लापरवाही सामने आने पर एसएसपी ने उनके खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है दर्पण योजना?
दर्पण पहल 13 जून को एसएसपी अनुराग आर्य की पहल पर शुरू की गई थी। इसका मकसद है पुलिस कार्यालय में आने वाले हर फरियादी को न्याय दिलाना, विवेचनाओं में पारदर्शिता और समयबद्धता लाना और लापरवाह अधिकारियों की जवाबदेही तय करना। जनसुनवाई में फरियादी और विवेचक को आमने-सामने बैठाकर मामले की सच्चाई सामने लाने का यह प्रयोग सफल साबित हो रहा है। अब फरियादी की बात सिर्फ फाइलों में नहीं, सीधे विवेचक की आंखों में आंखें डालकर कही जाती है।
एसएसपी का बयान
एसएसपी अनुराग आर्य ने साफ कहा है कि जांच में कोताही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सिर्फ केस दर्ज करना नहीं, उन्हें सही तरीके से निपटाना भी पुलिस की जिम्मेदारी होगी। ‘दर्पण’ के तहत अब हर हफ्ते ऐसे मामलों की समीक्षा होगी, ताकि किसी बेगुनाह को न्याय के लिए महीनों इंतजार न करना पड़े। पुलिस की यह पहल न सिर्फ जवाबदेही बढ़ा रही है, बल्कि लोगों का भरोसा भी मजबूत कर रही है।