उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने आंवला के गोठा खंडुआ निवासी अमजद खान के सर्टिफिकेट की जांच की और साफ कर दिया कि उसने जो मुंशी और आलिम के सर्टिफिकेट दिए थे, वे असली नहीं हैं। परिषद का कहना है कि ये सर्टिफिकेट उनके रिकॉर्ड में हैं ही नहीं, मतलब इन्हें बोर्ड ने जारी ही नहीं किया था।
आरोपी से की जाएगी सरकारी वेतन की वसूली
आरोप अमजद खान की नौकरी साल 2022 में हुई थी, जब मदरसे के प्रबंधक ने उसे नियमों के तहत लिपिक पद पर रख लिया था। उस समय परिषद से उसकी नियुक्ति का अनुमोदन भी मिल गया था क्योंकि सर्टिफिकेट देखकर सबने मान लिया था कि वह सही हैं। लेकिन अब परिषद ने इन सर्टिफिकेट्स को फर्जी करार दिया है। जांच में यह बात साफ हो गई है कि अमजद खान ने झूठे दस्तावेज बनवाकर न सिर्फ नौकरी पाई, बल्कि लंबे वक्त तक सरकारी वेतन भी लिया, जो कि सीधे तौर पर धोखाधड़ी और सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल है। अब उससे इस पैसे की वसूली की जाएगी।
अमजद के सभी दस्तावेजों की होगी जांच
जिला प्रशासन अमजद खान के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं इसमें मदरसे के दूसरे लोग भी शामिल तो नहीं थे। इस मामले के खुलासे के बाद बाकी कर्मचारियों के दस्तावेजों की भी दोबारा जांच की जा रही है। इस मामले में वक्फ इंस्पेक्टर ने कोतवाली में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। अब पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है, जल्द की उसकी गिरफ्तार की जाएगी।