कैसे शुरू हुआ घोटाला?
टैक्स विभाग ने गृहकर वसूली के लिए छह प्रिंटर खरीदने की मांग की थी। प्रक्रिया को छिपाने के लिए जेम पोर्टल से खरीदारी की गई, लेकिन इसमें सांठगांठ पहले ही कर ली गई थी। लखनऊ की एक फर्म के जरिए प्रिंटर खरीदे गए, जिन्हें नामी कंपनी का बताया गया, लेकिन वे चाइनीज उपकरण निकले।
आडिट में कैसे हुआ खुलासा?
टैक्स विभाग ने प्रिंटर को इस्तेमाल में लगाकर उनके भुगतान की प्रक्रिया शुरू की। जब फाइल लेखा विभाग और आडिट टीम के पास पहुंची, तो घोटाले का पर्दाफाश हुआ। जांच में पाया गया कि प्रिंटर की गुणवत्ता और कंपनी स्थानीय थी, लेकिन कीमत नामी कंपनियों से दोगुनी थी। आडिट टीम ने फाइल पर आपत्ति लगाई, जिसके बाद नगर निगम के टैक्स विभाग में हड़कंप मच गया। चीफ टैक्स ऑफिसर ने बीमारी का हवाला देकर छुट्टी ले ली, वहीं प्रिंटर ऑपरेटर भी कई बार बीमारी का बहाना बनाकर अवकाश पर चले गए।
टैक्स विभाग पर पहले से है दबाव
शासन और प्रशासन पहले से ही टैक्स विभाग की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट है। गृहकर वसूली में विभाग फिसड्डी साबित हुआ है, जिसके चलते अधिकारियों को नोटिस और वेतन रोकने जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इन स्थितियों के बावजूद, टैक्स विभाग ने कमाई के नए विकल्प ढूंढने का प्रयास किया, जिसमें प्रिंटर खरीद का यह घोटाला शामिल हो सकता है।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग
नगर निगम के इस घोटाले से सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिरकार जेम पोर्टल के जरिए भी खरीद में इस तरह की अनियमितता कैसे हुई? इसमें शामिल ऑपरेटर और अधिकारियों की सांठगांठ की जांच और कार्रवाई की मांग तेज हो रही है।