1988 में पाबंदी, अब दोबारा चर्चा में किताब
मौलाना शहाबुद्दीन ने बताया कि 1988 में राजीव गांधी सरकार ने सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब यह पाबंदी समाप्त हो गई है। कुछ लोग इसे भारत में दोबारा प्रकाशित करने और बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं। मौलाना ने स्पष्ट किया कि इस किताब में इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद, उनके परिवार, और सहाबा की शान में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
माहौल बिगड़ने की चेतावनी
मौलाना ने कहा कि यदि यह किताब मार्केट में आई, तो इसका गंभीर विरोध होगा। उन्होंने याद दिलाया कि 1988 में जब यह किताब बाजार में आई थी, तो पूरे भारत में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। अब फिर से ऐसी स्थिति बनने दी गई, तो देश में माहौल खराब हो सकता है।
दूसरे धर्मों पर भी अपशब्द
मौलाना ने कहा कि इस किताब में न केवल इस्लाम, बल्कि अन्य धर्मों के खिलाफ भी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने इसे देश के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की साजिश बताया।
ईरान से जारी हुआ था फतवा
सलमान रुश्दी की यह किताब हमेशा विवादों में रही है। 1989 में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था, जिसमें उनके सिर पर इनाम रखने की बात कही गई थी।
सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
मौलाना शहाबुद्दीन ने भारत सरकार से आग्रह किया कि इस किताब पर तुरंत पाबंदी लगाई जाए और इसे बाजार में लाने की सभी कोशिशों को रोका जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो मुस्लिम जमात सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।