बैंक के उप महाप्रबंधक सर्वेंद्र चौहान की सतर्कता के चलते यह घोटाला सामने आया। फरीदपुर शाखा में गबन की जांच के दौरान बैंक को संदेह हुआ कि जिन कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही चल रही है, वे पहले जहां तैनात रहे हैं, वहां भी वित्तीय अनियमितताएं हो सकती हैं। इसी आधार पर कनमन शाखा की पड़ताल शुरू कराई गई।
बंद खातों से किया गया पैसों का हेरफेर
जांच में सामने आया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और विधवा पेंशन जैसी योजनाओं के बंद पड़े लगभग 265 खातों से अवैध रूप से 48.81 लाख रुपये निकाल लिए गए। इस पूरे खेल में दो कैशियर चंद्र प्रकाश और दीपक पांडेय मुख्य भूमिका में रहे, जो पहले फरीदपुर घोटाले में भी शामिल थे। बैंक के अनुभाग अधिकारी सूरज कुमार की तहरीर पर देवरनिया कोतवाली में शाखा प्रबंधक हितेंद्र राठौर, कैशियर देव सिंह, मुरारी लाल, दीपक पांडेय, चंद्र प्रकाश और प्रह्लाद कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अब तक कुल 1.79 करोड़ रुपये के गबन का पर्दाफाश हो चुका है।
दीपक पांडेय का पहुंच वाला रिकॉर्ड
बैंक अधिकारियों के मुताबिक दीपक पांडेय लंबे समय से विवादित रहा है। वर्ष 2018 में भी उसके व्यवहार को लेकर शिकायतें आई थीं। वर्ष 2020 में उप महाप्रबंधक सर्वेंद्र चौहान की जांच में दोषी पाए जाने पर उसे निलंबित किया गया था। लेकिन कथित रूप से एक मंत्री के दबाव में उसे दोबारा बहाल कर दिया गया। एक किसान की शिकायत पर उप महाप्रबंधक सर्वेंद्र चौहान ने खुद संज्ञान लिया और जांच के निर्देश दिए। अधिकारियों की सक्रियता के कारण ही बैंक के भीतर लगातार हो रहे घोटालों का भंडाफोड़ संभव हो सका।
मामले की जांच में जुटी पुलिस
कोतवाली प्रभारी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि तहरीर के आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। मामले की विवेचना एसएसआई नवदीप सिंह को सौंपी गई है। जल्द ही सभी आरोपियों से पूछताछ की जाएगी।