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बाड़मेर

अक्षत तृतीया पर आज होगा शगुन विचार, इस वर्ष कैसा रहेगा मानसून, सालभर की लाभ-हानि का भी होगा इशारा

Akshat Tritiya Today : अक्षत तृतीया आज है। व्यापारी, किसान और आमजन शगुन विचार करेंगे। पंछियों की बोली, हवा के रुख से शगुन विचार होगा। पता चलेगा कैसा रहेगा पूरा साल?

बाड़मेरApr 30, 2025 / 10:23 am

Sanjay Kumar Srivastava

Akshat Tritiya Today Auspicious Thoughts How will Monsoon this Year There will also be an indication of Profit and Loss of Whole Year
Akshat Tritiya Today : अक्षय तृतीया का त्योहार धरतीपुत्रों के लिए दिवाली से कम नहीं होता, क्योंकि इस साल जमाना कैसा रहेगा, इसके शगुन इस दिन देखे जाते हैं। इसके चलते किसान मानसून से पहले अक्षत तृतीया पर शगुन देख किसान खेती-किसानी में लाभ-हानि का लेखा-जोखा करते हैं। आज अक्षत तृतीया है जिस पर व्यापारी, किसान और आमजन शगुन विचार करेंगे। अक्षय तृतीया का पर्व पूरे जिले में उत्साह और उमंग से मनाया जाएगा। घरों में खींच और गुलवानी बनेगी।

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सात धान की ढेरियों से अच्छे जमान की आस

अक्षय तृतीया पर गेहूं, चना, तिल, जौ, बाजरी, मूंग और मोठ आदि सात खाद्यानों की पूजा करके शीघ्र बारिश होने की प्रार्थना की जाती है कि आगामी साल भी अच्छी फसल वाला हो यह कामना की जाती है। इन ढेरियों पर पानी के कुल्हड़ रखे जाते हैं। इसके बाद जब पक्षी धान चुगते हैं तो पता चलता है कि इस बार खरीफ की इस फसल में तेजी रहेगी। बाजरी, मूंग, मोठ आदि की ढेरियां बनाकर इसमें हरे फल आदि रखकर इसे आकर्षक रूप से सजाया जाता है। वहीं बुजुर्ग ढेरियों में से अनाज के कुछ दाने उठाते हैं, यह दाने विषम संख्या में आते हैं तो लोगों को सुकाल की संभावना रहती है। इसमें बारिश के चार महीनों ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रवण, भाद्रपद में बारिश होगी या नहीं। इसको लेकर बच्चों को भी ज्ञान दिया जाता है। यह भी परंपरा सदियों से आ रही है। मुख्य सगुन जो हर गांव में विचारे जाते है उनका आधार वैज्ञानिक भी रहता है।

व्यापारी देखते हैं शगुन

जमाने की आस किसानों को ही नहीं व्यापारियों को भी रहती है। ऐसे में वे भी शगुन विचार करते हैं। व्यापारी एकत्र होकर पांच मिट्टी के बर्तन में सफेद-काली ऊन रखते हैं। ऊन पानी में डूबती है तब वे इसके हिसाब से जमाने की संभावनाएं बताते हैं।
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गुड़ खिलाकर करते हैं मुंह मीठा

अक्षय तृतीया के पर्व पर किसान रूपी बच्चे हाळियों के हल जुताई के बाद घर, गुड़ाळोेेें में आने पर बड़े बुजुर्गों तिलक लगा, मोळी बांध एवं गुड़ खिलाकर मुंह मीठा करते हैं।
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ये है पांच प्रमुख शगुन विचार

पहला – कच्ची मिट्टी के चार बर्तन बनाकर उनमें पानी भरा जाता है। ये चार बर्तन ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद नाम से रहते है। जिस बर्तन में पानी पहले फूटता है उसमें भरपूर बारिश मानी जाती है। इसी क्रम में चारों बर्तनों को देखते हैं।
दूसरा – गांवों में चिडिया और तीतर की आवाज पर सवेरे किसान ध्यान देते हैं। उत्तर दिशा में चिडिया का शगुन अच्छा माना जाता है। इसी तरह शगुन चिडिया दांयी और बोले तो उसको विशेष महत्व देते है।
तीसरा – बाजरा, मूंग, मोठ, तिल, ग्वार की फसलें यहां खरीफ में होती थी। इनके बीज खेत और घर के आंगन में रखे जाते हैं। इन बीजों को चींटियां जिस दिशा में ले जाती है माना जाता है उस दिशा में अच्छा जमाना होगा।
चौथा – चिडिया जितना ऊंचा घोंसला बनाती है। तो इतना बड़ा जमाना होता है।
पांचवां – हवा का रुख देखकर आने वाले जमाने की परख कर लेते हैं। इसी दिन फसल तथा जमाने के शगुन देखते हैं व सभी तरह के अनाजों के बारे मे चर्चा करते हैं।

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