मानसून के अच्छे संकेत माली समाज की ओर से आयोजित मुख्य सभा में समाज के प्रबुद्धजनों और बुजुर्गों की उपस्थिति रही। यहां पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार मिट्टी के घड़े (कुल्हड़) बनाकर, उनके माध्यम से जमाने के शगुन देखे गए। बुजुर्गों ने बताया कि इस वर्ष रस्मों के अनुसार कुल्हड़ों के फूटने के क्रम और अन्य शगुनों से मानसून के बेहतर रहने के संकेत मिले हैं। ऐसे में इस वर्ष अच्छी वर्षा की उम्मीद है, जिससे किसानों और ग्रामीण अंचलों में उत्साह का माहौल है।
शगुन देखने की विधि हाळी अमावस्या पर प्रेम सभा आयोजित कर पांच प्रकार के मिट्टी के कुल्हड़ तैयार किए जाते हैं। प्रत्येक कुल्हड़ को हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आसोज महीनों में विभाजित किया जाता है, जबकि पांचवां कुल्हड़ ‘थम्ब’ कहलाता है। इन कुल्हड़ों को पानी से भरकर एक बाजोट पर स्थापित किया जाता है। पूजा-अर्चना के बाद कुल्हड़ों में ऊन के धागे डाले जाते हैं। इसके साथ ही बाजोट के सामने विभिन्न प्रकार के अनाज जैसे धान, गेहूं और बाजरा भी रखे जाते हैं। विधिपूर्वक किए गए अनुष्ठान के बाद कुल्हड़ों का क्रमशः फूटना आरंभ होता है। मान्यता है कि जो कुल्हड़ पहले फूटता है, उस माह में अच्छी वर्षा होती है। इसी प्रक्रिया से मानसून के दौरान किस माह में कैसी बारिश होगी, इसका अनुमान लगाया जाता है।