सुनने की क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए चिकित्सकों ने कुछ सुरक्षा सुझाव दिए हैं। पहला, ईयरफोन का वॉल्यूम 40 प्रतिशत से ज्यादा न रखें। दूसरा यदि आपको घंटों काम करना पड़ता है, तो हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक जरूर लें। तीसरा सोते समय ईयरफोन का उपयोग ना करें, क्योंकि यह कानों की सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
– बातचीत करने के दौरान सुनने या समझने में परेशानी होना।
– कानों में सीटी बजना।
– ऊंची आवाज सुनने में परेशानी।
– बैकग्राउंड शोर होने पर आवाज सुनने में परेशानी होना।
– चक्कर आना या संतुलन संबंधी समस्याएं।
– आसपास शोर होने पर सुनने में परेशानी होना।
– तेज आवाज के आसपास होने पर इयरप्लग पहलनें।
– लाउड म्यूजिक सुनना बंद करें।
– ईयरबड, हेडफोन, ब्लूटूथ की आवाज 60% से कम रखें और लगातार इस्तेमाल करने से बचें।
– अपनी सुनने की क्षमता की नियमित जांच करवाएं।
– कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
ईयरफोन का उपयोग तभी करें जब जरूरी हो और आवाज को 40 प्रतिशत से कम रखें। अत्यधिक उपयोग से कानों के साथ-साथ स्वास्थ्य पर विपरित असर होता है। युवा सही तरीके से ईयरफोन का उपयोग कर सुनने की शक्ति को प्रभावित होने से बचा सकते है।
-डॉ.सुरेन्द्र कुमार मीणा, पूर्व प्रभारी ईएनटी बीडीएम अस्पताल कोटपूतली