Bastar News: विदेशी पर्यटकों को भी गहराई से प्रभावित करती है बस्तर की सुंदरता
केशकाल टाटामारी पधारकर भोजन ग्रहंण कर विदेशी मेहमान के पत्रिका संवाददाता ने दूभाषीया रिजवान खान के माध्यम से चर्चा करते उनका अनुभव और अनुभूति को जानने का प्रयास किया। गढ़धनौरा गोबरहीन-टाटा मारी का का घूमने फिरने के बाद बहुत खुश और प्रफुल्लित नजर आ रहे डाक्टर पीटर एवं उनकी पत्नी महिला समूह के महिलाओं द्वारा परोसें गये भोजन को खाते हुए बहुत ही संतुष्ट होकर रोटी सब्जी चांवल पापड़ के स्वाद की तारीफ करते अपने खुशी का बार बार इजहार करते महिला समूह के महिलाओं की तारीफ किया। जब उनसे यह पूछा गया कि, क्या इंग्लैंड में ऐसा भोजन मिलता है तो उन्होंने कहा ऐसा भोजन और ऐसा नहीं मिल पाता। पहली बार छत्तीसगढ़ बस्तर आने पर हमारा छत्तीसगढ़ बस्तर कैसा लगा यह पूछने पर बताया कि, बहुत सुंदर है छत्तीसगढ़ और बस्तर। यहां के लोग यहां के लोगों का जन जीवन यहां का कल्चर बहुत अच्छा लगा। यह यात्रा दिखाती है कि बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता, और स्थानीय आतिथ्य न केवल देशी, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी गहराई से प्रभावित करती है।
प्राचीन धरोहरों से प्रभावित
गढ़धनौरा गोबरहीन के प्राचीन धरोहरों को देखकर डॉ. पीटर ने कहा कि यह अद्भुत है कि इतने पुराने धरोहर अभी भी सुरक्षित हैं। उन्होंने वहां के निवासियों की धरोहरों के प्रति लगाव और देखभाल की भावना की सराहना की। केशकाल से कोंडागांव और जगदलपुर की ओर रवाना होते हुए दंपति ने कहा कि वे यहां एक सप्ताह तक रुककर बस्तर और उसके आसपास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करेंगे। डॉ. पीटर और एन ने कहा कि वे बस्तर के लोगों और संस्कृति को नजदीक से समझना चाहते हैं और अपनी इस यात्रा की मधुर स्मृतियों को अपने साथ ले जाना चाहते हैं।
गढ़धनौरा में एक घर तक जाकर घर देखकर तथा परिवार वालों से मिलकर लौटे दम्पति ने स्वयं आत्मिय आतिथ्य सत्कार तथा कच्चे मिट्टी के घर एवं उसकी साफ सफाई की भी प्रशंसा किया और कहा कि,यहां के लोग दिल से स्वागत करते हैं। टाटामारी के सौंदर्यता की तारीफ करते हुए कहा बहुत सुंदर जगह है यहां पर महिला समूहों को दिये गये काम की भी दोनों ने प्रशंसा किया और यह बहुत अच्छी बात है।
मौलिकता को बचायें रखना चाहिए..
Bastar News: टाटामारी में और क्या किया जाना चाहिए यह पूछने पर डाक्टर पीटर दास ने कहा कि यहां पर अगर एक म्यूजियम बन जाता जहां पर बस्तर के बारे में
बस्तर के सभ्यता संस्कृति लोक कला वाद्य की जानकारी आने वालों को मिल जाता तो और अच्छा होता अपनी सुझाव को और स्पष्ट करते हुए कहा कि मात्र चित्र नहीं अगर यहां के लोगों द्वारा बजाया जाने वाला मांदरी है तो मात्र उसका फोटो न लगाकर मांदरी रखा जाना चाहिए ताकि आने वाले देखकर जान समझ सकें।
इसके साथ यहां भी कहा कि यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता एवं नैसर्गिक छटा तथा मौलिकता को बचायें रखना चाहिए। इस बीच पेट भर रोटी चांवल दाल सैघोढ़ा की सब्जी खाने के बाद समूह के महिलाओं द्वारा छत्तीसगढ़िया व्यंजन अरसा खाने को दिया तो पहले तो हाथ में लेकर इधर उधर उलट-पुलट कर देखा और जब चखा तो गुड-गुड बोल उठे तथा सांथ बैठे गाईड करते दूभाषिया की भूमिका अदा कर रहे रिजवान से अरसा बनाने के बारे पूछ बैठे और रिजवान ने उन्हें अरसा बनाने के तौर तरीके के बारे में बताया।