कहे जाने पर दूध विक्रेता मौके पर ही दूध का दूध और पानी का पानी कर रहे है। वैसे तो डेयरियों में मशीन के जरिए दूध की जांच की व्यवस्था है, लेकिन अब बड़ी और महंगी मशीन का छोटा रूप बनने के बाद दूध विक्रेता इसे बाइक पर लगाकर दूध की टेस्टिंग डेयरी के बाहर भी करने लगे है। कुछ समय पहले तक डेयरी में लगी मशीनों में ही मिल्क टेस्टिंग की सुविधा रहती थी।
समय के साथ हुए बदलाव के साथ ही घर-घर बाइक पर दूध बेचने वालों ने छोटे रूप में आ रही पोर्टेबल मशीन बाइक में ही लगा ली है। यदि कोई दूध में मिलावट की आशंका जताए तो उसे नजरों के सामने ही दूध के सैंपल की जांच करके रिपोर्ट दे देते हैं। ऐसे में दूध में पानी या अन्य मिलावट की खरीदार के सामने ही हकीकत सामने आ सकती है।
छह तरह की जांचें, 40 सैकंड में रिपोर्ट
दूध की कई तरह की जांच की जाती है। दूध में फैट, शुगर, यूरिया, प्रोटीन जैसे तत्वों की रिपोर्ट महज 40 सैंकड में सामने आ जाती है। इसे पापने के यंत्र को लैक्टोमीटर भी कहते है। दूध की शुद्धता को मापने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है। दूध में पानी का पता लगाने या परीक्षण करके रिपोर्ट देखी जा सकती है।
फैट से तय होता है भाव
गाय और भैसों के दूध की कीमत फैट के अनुसार तय होती है। डेयरी में जांच के बाद दूध की कीमत मिलती है। खुले तौर पर वैसे तो प्रतिकिलो तय है। लेकिन ज्यादा फैट होने पर विक्रेताओं को अच्छी कीमत भी मिलने लगी है। वैसे वर्तमान में गाय का दूध लगभग 40 से 70 रुपए प्रतिकिलो और भैंस का दूध करीब 50 से 80 रुपए प्रति किलो है। फैट के अनुसार ही प्रति फैट तय कीमत का भाव मिलता है।
बाइक की बैटरी से चलती है मशीन
दूध में फैट की गणना के लिए मशीन बहुत उपयोगी है। खरीदने और बेचने दोनों समय जांच रिपोर्ट की आवश्यकता रहती है। इसलिए बाइक में ही पोर्टेबल मशीन फिट करवा ली है। यह बाइक की बैटरी से चलती है। अगर किसी को दूध में मिलावट की आंशका है तो मौके पर ही रिपोर्ट दिखा देते हैं। वहीं खरीदते समय भी जांच में मशीन उपयोगी रहती है। मुकेश गुर्जर, दूध विक्रेता