आईजी ने बताया कि धारा 107 बीएनएसएस के तहत अनुसंधान अधिकारी अपराध से अर्जित संपत्ति को अटैच करने के लिए पुलिस अधीक्षक से अनुमति लेकर न्यायालय या मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के तहत न्यायालय अभियुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। अभियुक्त के संतोषजनक जवाब नहीं देने पर न्यायालय संपत्ति को जब्त करने का आदेश जारी कर सकता है। जब्त की गई संपत्ति से प्राप्त आय पीड़ितों को कलक्टर के माध्यम से वितरित की जाएगी। यदि आय का कोई दावेदार नहीं है, तो इसे सरकार राजसात कर लेगी।
तीन जिलों में संपत्ति अटैचमेंट की शुरुआत
आईजी ने बताया कि भरतपुर रेंज के तीन जिलों भरतपुर, धौलपुर और डीग में यह कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। भरतपुर पुलिस थाना मथुरागेट में अभियुक्त मनीष जाटव पर जुआ अधिनियम और अपहरण के प्रकरण दर्ज हैं। वहीं, धौलपुर के पुलिस थाना बसेड़ी में अभियुक्त महेश ठाकुर पर जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले दर्ज हैं। डीग के पुलिस थाना पहाड़ी में अभियुक्त तसलीम पर साइबर अपराध के प्रकरण दर्ज हैं। इन तीनों अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
नकेल कसने की पहल
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि ऐसे अपराधियों की पहचान कर, जिनकी संपत्ति अपराध से अर्जित हो, धारा 107 बीएनएसएस के तहत प्रभावी कार्रवाई की जाए। यह पहल आने वाले दिनों में अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के रूप में देखी जाएगी।