scriptदिशाबोध कार्यक्रम: शिक्षा के साथ ही परंपरा को भी आगे बढ़ाना होगा, संस्कृति को भी नहीं छोड़ना है: कोठारी | Editor-in-Chief of Patrika Group Gulab Kothari addressed the youth participating in the dishabodh program in Jaipur | Patrika News
जयपुर

दिशाबोध कार्यक्रम: शिक्षा के साथ ही परंपरा को भी आगे बढ़ाना होगा, संस्कृति को भी नहीं छोड़ना है: कोठारी

केन्द्र सरकार के 16वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान के कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़, ओड़िशा व झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से जयपुर प्रवास पर आए करीब 200 युवा सोमवार को राजस्थान पत्रिका कार्यालय पहुंचे।

जयपुरJan 27, 2025 / 09:35 pm

Kamlesh Sharma

gulab kothari
जयपुर। केन्द्र सरकार के 16वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान के कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़, ओड़िशा व झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से जयपुर प्रवास पर आए करीब 200 युवा सोमवार को राजस्थान पत्रिका कार्यालय पहुंचे। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने आदिवासी युवाओं से कहा कि कामकाज में आधुनिक बनो, लेकिन मन को आधुनिक मत बनने दो। उन्होंने आह्वान किया कि युवाओं को पढ़ाई के साथ ही परंपरा को भी आगे बढ़ाना होगा, उन्हें संस्कृति को भी नहीं छोड़ना है।
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक कोठारी ने यहां झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान पत्रिका कार्यालय परिसर में आयोजित दिशाबोध कार्यक्रम में शामिल 20 से 22 वर्ष आयु के इन युवाओं को संबोधित किया। इन युवाओं में 106 युवतियां हैं। इस मौके पर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर क्षेत्र और झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र के युवक-युवतियों ने स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी।
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक कोठारी ने आदिवासी युवाओं से कहा कि वे माटी गंध को सब जगह पहुंचाने के सपने और सोच के साथ कदम आगे बढ़ाएं। आदिवासियों को चुप रहकर सहने का नुकसान हुआ, युवाओं को पढ़-लिखकर आगे बढ़ना होगा। युवा पीछे का इतिहास देखें और आगे के लिए कदम बढ़ाएं। समूह में साथ बैठकर संविधान पर चर्चा करें, उसे समझें और सपनों को कागज पर लिखें। तब ही आगे बढ़ने का रास्ता सामने आएगा। युवाओं को पुरातन ज्ञान से सीख लेनी होगी, उससे ही उनके भीतर उत्साह बना रहेगा।
कोठारी ने कहा कि देश के विकास में भागीदारी के सपने के साथ काम करें, ताकि विकास में उनकी भूमिका दिखे। एक-दूसरे को देने के भाव के साथ बढ़े। उन्होंने कहा कि मिलकर चलने में ही सुख है, मिठास है। उन्होंने कहा कि पेट भरना मुश्किल काम नहीं है, युवाओं को देश की माटी का कर्ज चुकाना चाहिए। युवा समाज को कुछ देने के संकल्प के साथ अपने क्षेत्र में टीम भावना से काम करें, अन्याय-अत्याचार से संघर्ष करें।
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि हर व्यक्ति वर्ष में कम से कम एक बार सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर विकास कार्यों की जानकारी ले, चाहे वह सड़क और पानी से ही संबंधित हो। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों का इस्तेमाल कर अन्न की जगह विष पैदा किया जा रहा है। इस सोच के साथ काम किया जाए कि हमारे काम से किसी का अहित नहीं हो। ध्यान रहे, कम खाएं पर शुद्ध खाएं। नेहरू युवा केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. भुवनेश जैन ने युवाओं को राजस्थान पत्रिका और उसके द्वारा किए जा रहे जनसरोकार के कार्यों की जानकारी दी, वहीं राज्य निदेशक किशनलाल ने आभार जताया।
dishabodh

31 तक रहेंगे जयपुर प्रवास पर

16 वें आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम में जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के बीजापुर, काकेर, नारायणपुर व सुकमा जिले, झारखण्ड के बेस्ट सिंहभूम जिले, ओड़िशा के कन्दमाल जिले के 200 युवा शामिल हैं। ये युवा 25 जनवरी को जयपुर पहुंचे और 31 जनवरी तक यहां रहेंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के इन आदिवासी युवाओं का चयन सीआरपीएफ, बीएसएफ, नेहरू युवा केन्द्र द्वारा किया गया है।

पूरा जंगल है, शिक्षक भी डरते हैं

झारखंड के चाइवासा के युवा प्रकाश लागुरी ने बताया कि उनके यहां चारों ओर जंगल है, जहां शिक्षक भी जाने में डरते हैं। अब जीवन बदल रहा है और कुछ समय से लगता है कि अब हम आजाद हो गए हैं।

सेना में जाना चाहती हूं

स्नातक द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत नारायणपुर की रत्नी मंडावी व उनके साथ आई युवतियों ने कहा कि वे सेना में जाना चाहती हैं, जिससे वे हालात बदल सकें। उनके यहां महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है। लड़कियों को पढ़ने के लिए कम भेजा जाता है।
स्नातक अंतिम वर्ष में अध्ययनरत सुकमा के रायचन्द्र सिंह ने कहा कि गांव में स्कूल नहीं है। कॉलेज और अच्छे स्कूल 100 किमी से भी दूर हैं। लोगों के लिए जंगल ही जीवन है। सिंह ने कहा कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते हैं, जिससे हर किसी के काम कर उनकी मदद की जा सके।
बीकॉम में अध्ययनरत ओड़िशा के कंधमाल के प्रताप मलिक ने कहा कि आसपास कभी रोड़ और कॉलेज नहीं देखा, रास्ते में कीचड़ हो जाता है। अब डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में कदम बढ़ाना चाहते हैं, जिससे जंगल के उत्पादों को कीमत मिल सके।

Hindi News / Jaipur / दिशाबोध कार्यक्रम: शिक्षा के साथ ही परंपरा को भी आगे बढ़ाना होगा, संस्कृति को भी नहीं छोड़ना है: कोठारी

ट्रेंडिंग वीडियो