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स्कूलों के बच्चों को जिन किताबों से पढ़ाया जाता है, उनसे निजी स्कूलों के बच्चे नहीं पढ़ते। एसोसिएशन से मांग रखी कि, केवल इस साल के लिए केंद्रीकृत परीक्षाओं से छूट दी जाए, क्योंकि वे उन किताबों से छात्रों को नहीं पढ़ा रहे हैं, जिनसे एग्जाम होने वाले हैं। मांग को जायज मानकर छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को परीक्षा से कर दिया। हालांकि यह व्यवस्था स्वेच्छिक रखी गई है। यानी यदि स्कूल चाहें तो स्वेच्छा से इस बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
निजी स्कूलों से नहीं ली गई सलाह प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने
सरकार के फैसले को कोर्ट ने चुनौती देते हुए तर्क दिया कि, बीच सत्र में परीक्षा का पैटर्न बदलने से छात्रों को परेशानी होगी। इसकी वजह से रिजल्ट खराब होना तय है। इसके अलावा यह एक तरफा आदेश था, यानी इस संबंध में निजी स्कूलों से कोई सलाह नहीं ली गई। इसी तरह सरकारी स्कूलों में बच्चों का सिलेबस अलग तरह की किताबों से पूरा हुआ, जबकि निजी स्कूलों में यह कोर्स कंटेंट पढ़ाया ही नहीं गया। कोर्ट ने निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि निजी स्कूल 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं अपने तरीके से कर सकेंगे।
सिर्फ इसी साल के लिए मिलेगी छूट निजी स्कूलों के बच्चों को परीक्षा से मिली छूट सिर्फ इसी साल के लिए होगी। अगले सत्र से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी शासकीय की तरह एक जैसी किताब से पढ़ाना होगा। एक जैसी किताबों के आधार पर एक जैसा प्रश्नपत्र होगा जिससे निजी और शासकीय दोनों स्कूलों के कक्षा 5वीं और 8वीं बोर्ड वाले बच्चों की परीक्षा होगी।
शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने कोशिश कक्षा 8वीं तक के बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। यही कारण है कि मंत्री परिषद की बैठक में 3 दिसंबर 2024 को निर्णय लिया गया कि अब प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने इसी सत्र से निजी और शासकीय स्कूलों के बच्चों की केंद्रीयकृत परीक्षा (एक तरह से बोर्ड परीक्षा) कराई जाएगी। कक्षा 5वीं व 8वीं केंद्रीयकृत परीक्षा छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम से संचालित सभी स्कूलों में होंगी। परीक्षाएं जिला स्तर पर ली जाएंगी। जिला शिक्षा विभाग परीक्षा कराएगा। सबसे अच्छी बात यह है कि इस परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों को परीक्षा या अन्य कोई भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है।
सरकारी बच्चों के लिए नियम तय प्रदेश में कक्षा 8वीं तक सभी बच्चों को पास करने का नियम अब बदल दिया गया है। अब से कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चों की नियमित परीक्षाएं होनी है। ऐसे में यदि बच्चा वार्षिक परीक्षा में फेल जाता है तो उसे सीधे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा, उसे अतिरिक्त मौका देते हुए दो महीने के भीतर दोबारा से परीक्षा कराई जाएगी। अब स्कूल 5वीं और 8वीं कक्षा के इन बच्चों को उसी क्लास में रोक सकेंगे। अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत पहले तक सभी बच्चे, चाहे वे फेल क्यों न हो उन्हें 8वीं तक पास दिया जाता था। अब फेल होने वाले ऐसे बच्चों को दोबारा से उसी कक्षा में पढ़ना होगा। यह व्यवस्था स्कूल के जरिए पूरी होगी।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने परीक्षाओं में छूट सिर्फ निजी स्कूलों के बच्चों को दी है। वहीं शासकीय स्कूलों के बच्चों की परीक्षा पूर्व के आदेश यानी केंद्रीयकृत बोर्ड परीक्षा के पैटर्न पर ही होगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने परीक्षा का टाइम-टेबल पहले ही जारी कर दिया है। कक्षा 5वीं की परीक्षा 17 मार्च से शुरू होकर 27 मार्च को समाप्त होगी।
वहीं कक्षा 8वीं के विद्यार्थी 18 मार्च को गणित का पहला पेपर हल करेंगे। इनका आखिरी प्रश्नपत्र 3 अप्रैल को संस्कृत का होगा। इस साल कक्षा 5वीं में 558 सरकारी स्कूलों के 14520 बच्चे बोर्ड परीक्षा दिलाएंगे। इसके अलावा जिले की 356 शासकीय स्कूलों के 15929 बच्चे कक्षा 8वीं की परीक्षा में शामिल होंगे।