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जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। जमानत अर्जी का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्त गौरी चक्रवर्ती ने यह दलील दी कि संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि कोई व्यक्ति ऐसी बात कहे जिससे समाज पर विपरीत प्रभाव पड़े या देश के प्रधानमंत्री का अपमान हो।
यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी चोट पहुंचाता है। आरोपी को जमानत देने से समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। उनके साथ अधिवक्ता पुरुषोत्तम सोनारे, प्रकाश शर्मा एवं अन्य अधिवक्ताओं ने भी आपत्ति प्रस्तुत की। न्यायालय ने प्रस्तुत तर्कों एवं प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्र के सर्वोच्च पदों का समान हर नागरिक का नैतिक दायित्व है।