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CG News: स्वास्थ्य विभाग में हो गया ‘खेला’, विज्ञापन प्रकाशित किए बिना ही 215 पदों पर नियुक्ति सुपेला अस्पताल लैब के एक टेक्निशियन ने बताया की सात माह से मोक्षित कॉर्पोरेशन व चार माह से एक्विला कंपनी की मशीनें खराब पड़ी हैं। सीबीसी जांच, डेंगू, प्लेटलेट समेत अन्य जांच नहीं हो पा रही है। इसी वजह से 20 से भी ज्यादा ब्लड टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। जिसके कारण 90 प्रतिशत मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है। उधर अस्पताल प्रभारी इससे बेखबर है। उनका कहना है कि मोक्षित कॉर्परेशन की ही मशीन खराब है , बाकी मशीनें काम कर रही हैं।
टेक्निशनय ने बताया कि करीब 20 दिन पहले एक्विला कंपनी से बनाने के लिए किसी कर्मचारी को भेजा गया था। वह आया और 15 दिन में बनाने का बोलकर चला गया। अब तक उसका पता नहीं है। कब आएगा यह भी नहीं कहा जा सकता। कई बार मरीज परेशान होकर टेक्निशियनों पर गुस्सा उतारते हैं। मशीनें बन जाती तो मरीजों को बड़ी राहत मिलती।
टेक्निशियन ने बताया की इसको लेकर प्रभारी समेत सभी को जनाकारी दी गई है, पर बनाने के लिए बातचीत कर रहे है बोलते है। अब तक हुआ कुछ नहीं। टीबी के मरीजों को भटकना पड़ रहा
अस्पताल में टीबी के मरीजों को दवाई लेने के लिए भटकना पड़ा रहा है, क्योकि अस्पताल में बना टीबी दवाई का काउंटर अक्सर बंद रहता है। मरीज यहां वहां भटकते हैं। अस्पताल में डॉक्टर से पूछते हैं तो कल आने के लिए बोल दिया जाता है।
नीजि अस्पताल जाना मजबूरी मोक्षित कॉर्पोरेशन की बस मशीन खराब है। बाकी सब मशीन ठीक चल रही है। हर दिन खून की जांच हो रही है। डॉ. पियाम सिंहसुपेला अस्पताल प्रभारी मरीजों को ब्लड जांच के लिए जिला अस्पताल जाने के लिए कहा जाता है, पर मरीजों को आने जाने में दिक्कत होती है। जिला अस्पताल में वैसे ही भीड़ रहती है। जिसके कारण रिपोर्ट मिलने में देरी होती है। यही वजह है कि मरीज मजबूरी में नीजि पैथालॉजी में जाकर टेस्ट करवाते हैं। जहां उनको अधिक शुल्क देना पड़ती है।
हर दिन औसतन 150 मरीज ब्लड टेस्ट के लिए आते हैं। जिनमें से 90 प्रतिशत मरीजों को ब्लड टेस्ट कराने जिला अस्पताल भेजना पड़ता है। क्योकि डॉक्टर जो ब्लड टेस्ट यहां लिख रहे हैं उनमें आधा ब्लड टेस्ट नहीं हो पा रहा है। मरीज आधा टेस्ट कराकर ही लौट रहे हैं।
बनाने वाला नहीं आया