विदेशों में ऑर्गेनिक कॉटन यार्न की मांग लगातार बढ़ रही है। यूरोप, अमरीका समेत अन्य देशों में निटेड फेब्रिक, सूती शर्टिंग, टाउजर आदि बनाने वाले देशों में इसकी मांग है। विश्व का 50 प्रतिशत ऑर्गेनिक कॉटन यार्न केवल भारत में बनता है। इसके अलावा कजाकिस्तान में 12 तथा तुर्की में 10 प्रतिशत ऑर्गेनिक कॉटन यार्न का उत्पादन होता है। इस यार्न की कीमत साधारण यार्न से 40 से 50 रुपए प्रति किलो अधिक है। इसका उत्पादन भीलवाड़ा में नितिन, आरएसडब्ल्यूएम, सुदिवा, लग्नम तथा संगम स्पिनर्स कर रही है।
इससे फायदे इस यार्न से तैयार कपड़े से त्वचा पर एलर्जी नहीं होती। गर्मी में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। धागा लंबा व ज्यादा टिकाऊ रेशे वाला होता है। विदेशी कम्पनियां यह यार्न खरीदने से पहले कुछ कम्पनियों से प्रमाणपत्र लेती है। जांच ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड यूएसडीए, जीओटीएस और ओईकेओ-टेक्स जैसे प्रमाण लिए जाते हैं।
कपास की जैविक खेती ऑर्गेनिक कॉटन या जैविक कपास प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है। इसमें किसी सिंथेटिक कृषि रसायन, कीटनाशक, उर्वरक या ट्रांसजेनिक तकनीक इस्तेमाल नहीं की जाती है। जैविक कपास उगाने को स्वीकृत कीटनाशक दवा का उपयोग किया जाता है। बीटी कॉटन के मुकाबले इसमें पानी की मात्रा कम चाहिए।
ऑर्गेनिक कॉटन यार्न की मांग बढ़ी यूरोपीय देश व अमरीका में ऑर्गेनिक कॉटन यार्न की मांग बढ़ी है। भीलवाड़ा की कुछ स्पिनिंग इकाइयां इसका उत्पादन और निर्यात कर रही है। इनसे निर्मित कपड़े ऑर्गेनिक व इको फ्रेंडली होते हैं। ऑर्गेनिक सूतीकपड़ा ऑर्गेनिक कपास से तैयार किया जाता है। ऑर्गेनिक या हर्बल फैशन लाइन में कार्बनिक कॉटन, बैंबू फेब्रिक, हाथ से बुनी खादी का उपयोग करते हैं।
-आरके जैन, महासचिव मेवाड़चैम्बर ऑफ कॉमर्स भीलवाड़ा