सीएम शर्मा ने बिना किसी विधायक का नाम लिए कहा कि शहरी विकास की मांगों पर चर्चा के दौरान कोटा उत्तर से आने वाले सदस्य (शांति धारीवाल) बार-बार आ जाते हैं। क्योंकि उनके समय सबसे ज्यादा काम उनके क्षेत्र में हुआ था। शर्मा ने कहा कि सदस्य का वक्तव्य सुन रहा था। इनके द्वारा उठाए गए विभिन्न बिंदुओं का जवाब शहरी विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री दे चुके हैं। लेकिन धारीवाल जिस प्रकार जोर-ज़ोर से अपनी कमियों को छिपाने की दृष्टि से बोल रहे थे, उससे मुझे बहुत ही अचरज हुआ। उन्होंने उनके समय की कार्यप्रणाली उजागर करने का जिक्र किया। सीएम ने भीलवाड़ा का नाम लेते हुए कहा कि भीलवाड़ा के सदस्य आए होंगे। कांग्रेस से तो भीलवाड़ा जिले में कोई सदस्य नहीं है। सभी भाजपा के इधर ही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भीलवाड़ा शहर में एक ऐसा हाई लेवल ब्रिज इनके समय निर्मित किया गया, जिसकी कोई अप्रोच सड़क है ही नहीं और इस पर 34 करोड़ रुपए क्यों खर्च कर दिए। यह तो वही जानें और वह कैसा हाई लेवल ब्रिज है कि एक तरफ से चला और बीच में काम रुक गया। आगे न जमीन है, ना रोड है, न जमीन अधिग्रहण की है। पूर्व मंत्री को किससे दुश्मनी है जो ऊपर चढ़ करके, नीचे गिरे? मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि किनसे दुश्मनी है? वो कौनसा पाइंट को बनाना चाहते थे? क्या स्थिति हो रही है? इस पर धारीवाल कुछ नहीं बोलते। यह तो एक नमूना दिया है। अगर किसी साथी को कभी भीलवाड़ा जाने का मौका लगे तो भीलवाडा के साथी से पूछ लीजिएगा। सीएम ने कहा कि गत सरकार के ऐसे अनूठे कार्यों की लिस्ट कुछ दिन पहले ही पढ़ रहा था। उस समय रेडियो पर भूले बिसरे गीत कार्यक्रम भी चल रहा था। अजीब संयोग है कि उसी समय जो गाना बज रहा था उसके बोल थे, चाहे दिन हो, चाहे रैना, बस नोट गिनते रहना…।
यह है मामला नगर विकास न्यास कोठारी नदी पर हाईलेवल ब्रिज का निर्माण कर रही है। यहां आवागमन का कोई रास्ता नहीं है। आगे खेत है, न्यास ने 34 करोड़ रुपए खर्चकर 250 मीटर हाईलेवल ब्रिज बनाया। पुलिया पर न्यास ने लाखों रुपए की रोड लाइट लगा रखी है। इनका कोई उपयोग नहीं है। पुलिया की नींव 19 सितम्बर 2013 को रखी थी। वर्ष-2019 में बजट दिया तो काम शुरू हुआ। गोविंदपुरा से जोड़ने वाले ब्रिज से 500 फीट एप्रोच रोड के लिए खातेदारों की भूमि ली जानी है। जमीन अधिग्रहण का मामला ठंडे बस्ते में है।