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भीलवाड़ा

Bhilwara news : हमारे कपड़ा कारोबार को लगेंगे पंख

डेनिम व टेिक्नकल टेक्सटाइल उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

भीलवाड़ाFeb 02, 2025 / 11:25 am

Suresh Jain

Our textile business will get wings

Our textile business will get wings

Bhilwara news : भीलवाड़ा के टेक्सटाइल उद्योग के भावी विकास के लिए बजट काफी अहम है। पिछले 25 वर्ष में यहां का टेक्सटाइल उद्योग पीवी सूटिंग उत्पादन पर केंद्रित रहा है। बीते पांच वर्ष में डेनिम की ओर कदम बढ़ाए हैं। डेनिम उत्पादन 40 करोड मीटर प्रति वर्ष पहुंच गया है, लेकिन भावी विकास के लिए अब परम्परागत सूटिंग उत्पादन लीक से हटकर टेक्निकल टेक्सटाइल की ओर कदम बढ़ाने होंगे। बजट में आमजन को बड़ी राहत दी है। नौकरीपेशा वर्ग के लिए आयकर सीमा 12 लाख तक बढ़ाने से घरेलू बचत बढ़ेगी। साथ ही हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
आयात शुल्क बढ़ाने से हमारे कपड़ा कारोबार को क्या फायदा?

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि एग्रो, जीओ व मेडीकल टेक्निकल टेक्सटाइल उत्पादन में विपुल संभावनाएं हैं। देश के कृषक लगातार ग्रीन हाउस प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए आवश्यक टेक्निकल टेक्सटाइल उत्पाद आसानी से बना सकते हैं। इस बजट में महत्वपूर्ण बिंदु है कि विदेशों में खासकर चीन से आयात हो रहे सस्ते निटेड फेब्रिक्स पर रोक लगाने के लिए आयात शुल्क 10 से 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत या 115 रुपए प्रति किलो (जो भी अधिक हो) बढ़ा दिया है। इससे एग्रो या जीओ टेक्निकल में जाते हैं तो निटेड फेब्रिक्स आयात में कमी होगी।
रेपियर एवं एयरजेटलूमों पर लगने वाले आयात शुल्क 7.50 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया है। इससे विदेशों से अत्याधुनिक मशीनें मंगाने में लूम की लागत में लगभग 2 लाख रुपए की कमी आएगी। 24 से 48 लूम के उद्योग में लागत खर्च में 50 लाख से एक करोड रुपए का फायदा होगा। आयात शुल्क हटाने से डेनिम उत्पादन बढ़ाने व टेक्निकल टेक्सटाइल में प्रवेश का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
प्रधानमंत्री के 5 एफ विजन पर ध्यान रखते हुए वित्तमंत्री ने कपास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। राजस्थान एवं भीलवाड़ा के लिए अच्छा संकेत है। पूर्व में मिशन फॉर कॉटन प्रोडक्टिविटी के तहत किए कार्यों से राजस्थान में प्रति हैक्टेयर कॉटन उत्पादन देश में सर्वोच्च है। नई योजना के साथ किसानों को मार्गदर्शन मिलता है तो प्रति हेक्टयर कॉटन उत्पादन में बड़े आयाम स्थापित कर सकते हैं। इस मिशन को बढ़ावा देने के लिए भीलवाडा के उद्यमी आरएल नौलखा का बड़ा योगदान रहा है।
एमएसएमई उद्योगों की निवेश सीमा 50 करोड़ से बढ़ाकर 125 करोड़ करने से टेक्सटाइल उद्योग में वीविंग सेक्टर के लिए सुनहरा वरदान साबित होगा। बडेवीविंग एवं डेनिम उद्योग लार्ज उद्योग श्रेणी के बजाय एमएसएमई केटेगरी में चिन्हित होकर एमएसएमई की विभिन्न योजनाओं का उपयोग कर सकेंगे।
एमएसएमई उद्योग के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम में स्टार्ट अप के लिए 10 करोड़ से बढाकर 20 करोड़ किया है। निवेश सीमा को ढाई गुणा व टर्नओवर दो गुणा कर दिया है।

आरके जैन, महासचिव मेवाड़चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री भीलवाड़ा

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