उल्लेखनीयय है कि मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव व न्यायाधीश मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ की ओर से भीलवाड़ा की संस्था डॉ. बृजमोहन सपूत कला संस्कृति सेवा संस्थान की जनहित याचिका पर दिए आदेश के तहत अब प्रदेश में पूर्व में आंवटित बजरी की लीज थी, उनके आधार पर वर्तमान में जारी की गई बजरी लीज की जांच की जाएगी। इसके लिए सरकार ने तीन सदस्यों की टीम का गठन किया है।
इन जिलों में होगी बजरी लीज की जांच डॉ. बृजमोहन सपूत कला संस्कृति सेवा संस्थान भीलवाड़ा के अधिकृत देवेन्द्रसिंह के अपनी जनहित याचिका में बताया कि खनिज विभाग सुप्रीम कोर्ट के 11 नवंबर 2021 के आदेशों की पालना नहीं कर रहा है। इसमें पुरानी लीज का हवाला दिया गया है। इसमें 34 लीज टोंक जिले की हैं। इसमें पालड़ा, बोरदा, लाहन, अहमदपुरा, अरनिया नील, तालीबपुरा, आमिनपुरा व नवाबपुरा, मोहम्मद नगर, राजमहल नया गांव, सतवाड़ा, बथाली-विजयगढ़, जलसीना, नोदपुरा, आमली, वासीपुरा आदि शामिल हैं। भीलवाड़ा जिले की 48 लीज हैं, इनमें गुलाबपुरा, हुरड़ा, खाटवाड़ा, हमीरगढ़, जालिया, हरिसिंह जी का खेड़ा, थलकला, मगरोप, कंकरोलिया घाटी, कोटड़ी, जवासिया, बरडोद, भैसाकुंडल, मोहनपुरा, हमीरगढ़ की गुरावड़ी, जहाजपुर क्षेत्र सवाईपुर, आकोला, सोपुरा, गेगा का खेड़ा शामिल हैं। अजमेर की देवलिया कला, भिनाय तहसील क्षेत्र की 9 लीज तथा सवाई माधोपुर की 2 पुरानी लीजें शामिल हैं। यह सभी लीज वर्ष 2023 व 2024 में समाप्त हुई हैं। इन क्षेत्रों पर खनिज विभाग ने हाल ही में नए ब्लॉक बनाकर इनकी नीलामी की थी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार नदी में जहां पहले बजरी का खनन हो चुका, वहां अगले पांच साल तक खनन ब्लॉक नहीं बनाए जा सकते।
ईसी के अभाव में अवैध खनन लीज धारकों का कहना है कि भीलवाड़ा जिले में खनिज विभाग ने 34 से अधिक लीज की नीलामी की है। इनमें ईसी के लिए सभी दस्तावेज के साथ नियमानुसार 40 प्रतिशत राशि भी जमा करवा दी है। जहां बजरी की लीज का आवंटन हुआ है वहां पर अवैध खनन न हो इसके लिए लीजधारकों ने कर्मचारी भी तैनात कर दिए हैं। लेकिन ईसी नहीं मिलने से जिले में बजरी का अवैध खनन हो रहा है।