प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात खिवनी अभयारण्य देवास और सीहोर जिले के 134.778 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। अब इसका दायरा और बढ़ाया जा रहा है। वन्यप्राणी अभयारण्य में बाघ सहित अन्य मांसाहारी पशुओं के संरक्षण के लिए इसका क्षेत्रफल बढ़ाया जा रहा है।
खिवनी अभ्यारण वस्तुत: जैव विविधता का खजाना है। यहां स्तनधारियों, पक्षियों और सरीसृप की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। अभयारण्य में पक्षियों की 155 और तितलियों की 55 प्रजातियां मिलती हैं। यहां बाघ, तेंदुआ, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा, नीलगाय, चिंकारा, वनैला सूअर, चौउसिंघा भालू जैसे जंगली जानवरों से लेकर राज पक्षी दूध राज तक पाए जाते हैं।
यह भी पढ़ें: सुंदरता पर फिदा हुआ बेटा कुणाल, जानिए बहू रिद्धि की किस खासियत से प्रभावित हैं शिवराजसिंह चौहान अभ्यारण्य की प्रचुर जैव विविधता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि यहां 69 वृक्ष प्रजातियों, 23 जड़ी-बूटी और 12 झाड़ियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यह उष्णकटिबंधीय शुष्क वर्णपाती सागौन वन है जहां परजीवी, घास और बांस भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
खिवनी अभ्यारण का अब विस्तार किया जा रहा है। इसमें सीहोर जिले की 1395 हेक्टेयर जमीन और जोड़ी जा रही है। इस वन भूमि में करीब 1100 हेक्टेयर आष्टा वन क्षेत्र से ली जाएगी जबकि 295 हेक्टेयर जमीन इछावर वन क्षेत्र से ली जाएगी।
अधिकारियों के अनुसार खिवनी वन्यजीव अभयारण्य की सीमा का विस्तार हो रहा है। इसे इको सेंसेटिव जोन यानि पारिस्थितिकीय संवेदी जोन घोषित किया गया है। इसके लिए अभयारण्य के चारों ओर दो किलोमीटर तक विस्तारित क्षेत्र अधिसूचित किया जा रहा है।
खिवनी वन्यप्राणी अभ्यारण्य में अभी देवास जिले के कन्नौद व खातेगांव वन परिक्षेत्र और सीहोर जिले के आष्टा व इछावर परिक्षेत्र का कुल 21071 हेक्टेयर वन क्षेत्र शामिल है। अब इको सेंसेटिव झोन में विस्तार करते हुए इसमें देवास जिले के 15 गांव शामिल किए गए हैं।