सुनवाई के दौरान संघ ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार की ‘स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा’ (SPQEM) के तहत मिलने वाला फंड 2017 से लंबित है, जिससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इस योजना के तहत मदरसों में आधुनिक औपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 60% और राज्य सरकार 40% फंड प्रदान करती है। लेकिन फंड जारी न होने के कारण शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है और छात्रों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं।
एमपी के तहसीलदार पर महिला ने रखा 50 हजार का ईनाम, अंडरग्राउंड हुआ अफसर… 90 दिनों में केंद्र को भेजना होगा प्रस्ताव
कौमी उर्दू शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अफसर खान और सचिव कफील खान ने बताया कि फंड की मांग को लेकर कई बार राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसके बाद साल 2023 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को 90 दिनों के भीतर केंद्र को प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इसी प्रकार के फंड जारी करने का आदेश दिया था। इस फैसले से प्रदेश के सैकड़ों मदरसों को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।