आप समझ सकते हैं कि अगले पांच साल आवासीय व व्यावसायिक निर्माणों के नाम रहने वाला है। केंद्रीय योजनाओं के तहत विभिन्न सरकारी एजेंसियां अपने स्तर पर स्लम विस्थापन के लिए घर बनाती रही है, लेकिन ये घर सरकारी एजेंसियां नहीं बल्कि सरकार के लिए निजी डेवलपर बनाएंगे। देरी उनके लिए घाटे का सौदा रहेगा।
मकानों की शुरुआत मार्च तक
जिला प्रशासन की नगर निगम के माध्यम से स्लम विस्थापन के लिए पीपीपी मोड पर 388 चिन्हित स्लम के लिए 1.51 लाख घरों की प्लानिंग तैयार है। स्लम में अतिरिक्त जगह पर रहने वाले करीब 50 हजार अन्य लोगों को शामिल करें तो आंकड़ा दो लाख बनेगा। भीमनगर-वल्लभ नगर में 18 एकड़ में 18000 घरों से इसकी शुरुआत अगले दो से तीन माह में हो जाएगी। अगले दो साल में सभी स्लम में निजी डेवलपर्स से मल्टियां बनवाई जाएंगी। ये भी पढ़ें: एमपी में बनेगा नया ‘कॉरिडोर’, ली जाएगी 17 गांवों की जमीन दो लाख मकान-दुकान सरकारी जमीन पर
अगले पांच साल में स्लम के लिए घर बनाने वाले डेवलपर्स अपने खर्च को निकालने के लिए दो लाख घर व दुकानें बनाएंगे। ये एलआइजी, एमआइजी व एचआइजी श्रेणी के होंगे। इसके साथ ही हाउसिंग बोर्ड, बीडीए 12 नगर विकास योजनाओं को अगले पांच साल में पूरा करेगी, जिसमें 22 हजार घर व प्लॉट बिक्री का लक्ष्य है। इसमें नगर निगम की पीएमवाय योजना के घर अलग रहेंगे।
स्लम विस्थापन के लिए डेढ़ लाख से अधिक घर बनवा रहे हैं। सर्वे पूरा हो गया है एजेंसी तय कर रहे हैं। बढ़ते घरों के अनुसार संबंधित क्षेत्रों में अधोसंरचना भी विकसित करवाएंगे।- कौशलेंद्र विक्रमसिंह, कलेक्टर
दो साल में दो लाख आशियानें
स्मार्ट मीटर के लिए हो रहे सर्वे में शहर में आठ लाख घरों की स्थिति सामने आ रही है। बिजली कंपनी के रिकॉर्ड में घरेलू उपभोक्ताओं का आंकड़ा साढ़े पांच लाख है, लेकिन मीटर सर्वे में ये आठ लाख तक पहुंच रहे हैं। जिस तेजी से घरों की संख्या बढ़ रही है, उससे शहर में घरों की संख्या दस लाख को पार करने की स्थिति बन रही है।