राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर एवं आयोग के सदस्य भुवन भूषण कमल ने प्रदेश की पिछड़ा वर्ग सूची में सम्मिलित 32 जातियों को मध्यप्रदेश राज्य की केन्द्रीय सूची में सम्मिलित करने के लिए सुनवाई की। शुक्रवार को भोपाल के राजकीय अतिथि गृह (वीआईपी गेस्ट हाउस) में हुई जनसुनवाई में इन जातियों के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया।
यह भी पढ़ें : शिवराज सिंह चौहान भी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में, बढ़ गई हलचल राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सचिव ने बताया कि वर्तमान में केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग की केन्द्रीय सूची में मध्यप्रदेश की 68 जातियां सम्मिलित हैं। जबकि मध्यप्रदेश सरकार की पिछड़ी जाति की सूची में 94 जातियां शामिल हैं।
मध्यप्रदेश शासन के योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकीय विभाग के अंतर्गत कराए गए फील्ड सर्वे के बाद मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा इन जातियों के आंकड़े शासन को प्रस्तुत किए गए हैं। इन आंकड़ों का अध्ययन करने के लिए जनसुनवाई का आयोजन किया गया।
मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, सदस्य सीताराम यादव, विभागीय प्रमुख सचिव डॉ. ई. रमेश कुमार, अपर सचिव अनुराग चौधरी, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण आयुक्त सौरभ सुमन मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सचिव डॉ. देवेश कुमार मिश्रा भी जनसुनवाई में उपस्थित रहे।
आयोग इनकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा
सबसे खास बात यह है कि जनसुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश की 3 जातियों को ओबीसी में शामिल करने योग्य पाया गया है। अधिकारियों के अनुसार 32 जातियों में से 5 जातियों का सर्वे पूरा हो चुका है जिनमें से 3 जातियों
कुडमी, तंवर और माली-सैनी को सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से अन्य पिछड़ी जातियों में शामिल करने योग्य पाया गया है। आयोग इनकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा। यदि केंद्र सरकार इन्हें उपयुक्त मानेगी तो इन जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकता है।