ऐसे पकड़ी गड़बड़ी
राशन वितरण पीओएस लॉग-इन अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा ऑनलाइन निगरानी भी की जा रही है। इससे पता चल जाता है कि किस जिले में कितनी दुकानों ने लॉग-इन कर प्रतिदिन राशन वितरित किया और कितनी दुकानें नहीं खुली। यदि कोई दुकान नहीं खुलती तो ऑनलाइन निगरानी व पीओएस मशीन के लॉग-इन सिस्टम के जरिए पकड़ में आ जाती है। इन 370 दुकानों में यही हुआ था।
कहां की कितनी दुकानें
जबलपुर जिले में सर्वाधिक 91, सागर 43, मुरैना 20, भिंड 19, छिंदवाड़ा 16, देवास-नरसिंहपुर में 15-15, शिवपुरी में 13, राजगढ़ 11, उज्जैन में 9 दुकानें बंद मिलीं। रायसेन में 8, छतरपुर, पन्ना, सतना में 7-7, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़ की 6-6, धार, श्योपुर, सीधी की 5-5, इंदौर, खंडवा, रीवा की 4-4, बालाघाट, भोपाल, दमोह, खरगोन, मऊगंज, सिवनी, उमरिया की 3-3, बैतूल, बुरहानपुर, गुना, झाबुआ, मैहर, मंदसौर, रतलाम की 2-2, आलीराजपुर, डिंडौरी, ग्वालियर व सिंगरौली की 1-1 दुकान।
तीसरी बार बढ़ाई समय सीमा, फिर भी ये हाल
उपभोक्ताओं की पहचान और सही हाथों में राशन पहुंचे, इसके लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत पात्र उपभोक्ताओं की ई-केवायसी की जा रही है। इसकी शुरुआत 9 अप्रेल से प्रदेशभर में हुई थी, जो 30 अप्रेल तक पूरी करना थी, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ तो अवधि 15 मई तक बढ़ाई गई थी। इसके बावजूद शत-प्रतिशत उपभोक्ता ई-केवायसी के दायरे में नहीं आए तो यह तारीख 31 मई तक बढ़ा गई है। राशन दुकानों के तहत किए जाने वाले इस अहम काम के बावजूद 42 जिलों के 370 दुकानों को नहीं खोला गया। इस कारण इन दुकानों से न तो राशन बांटा गया न ही ईकेवायसी का काम पूरा किया। खाद्य आयुक्त ने कलेक्टरों से कहा है कि वे अपने जिले की दुकानों के बंद रहने की वजह पता कर कार्रवाई करें। सूचना भी दें। साथ ही ईकेवायसी का काम भी तय डेडलाइन में पूरा कराएं।
कार्रवाई करें
खाद्य नागरिक एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग (Food Civil Consumer Protection Department) की आधार बेस्ड ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था में गड़बड़ी पकड़ी गई। खाद्य आयुक्त कर्मवीर शर्मा ने इन जिलों के कलेक्टरों चेताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। कहा है कि दुकानें क्यों बंद रहीं, उपभोक्ताओं को राशन क्यों नहीं दिया, इस आधार पर जांच करें। जिमेदारों के खिलाफ कार्रवाई करें। ये गड़बड़ी जिला खाद्य अधिकारी व सेल्समैनों के स्तर पर होना बताया गया।