कांग्रेस ने दलबदल विरोधी कानून के आधार पर बीना विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा में आवेदन दिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के इस आवेदन पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने नोटिस जारी कर दिया। इसके जवाब में निर्मला सप्रे ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने की बात कही है। बताया जा रहा है कि इस मामले में अगले 7-8 दिनों में फैसला संभावित है।
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विधायक निर्मला सप्रे के आग्रह पर विधानसभा सचिवालय ने उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने मौका दे दिया है। हालांकि इसे अंतिम अवसर कहा है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह के अनुसार विधायक निर्मला सप्रे ने विधानसभा अध्यक्ष से प्रत्यक्ष भेंट करके अपना पक्ष रखने का कहा है।
उधर, कांग्रेस विधायक दल ने 16 दिसंबर से शुरु होनेवाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर से इस मामले के त्वरित हल की मांग की है।कांग्रेस का कहना है कि विधायक निर्मला सप्रे ने न केवल
सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ मंच साझा किया बल्कि बीजेपी में शामिल होने की घोषणा भी की थी। उन्होंने बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में भी हिस्सा लिया था। इनसे संबंधित तस्वीरें, वीडियो, अखबारों में प्रकाशित खबरें आदि दस्तावेज के रूप में विधानसभा अध्यक्ष को दी गई हैं।
दरअसल निर्मला सप्रे इस मामले को टालना चाहती हैं। यही वजह है कि पूर्व के दो नोटिस पर उन्होंने अलग अलग कारण बताते हुए समय मांगा। अब वे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने की बात कह रहीं हैं। इधर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि शीतकालीन सत्र के पहले निर्मला सप्रे के मामले का निराकरण नहीं किया तो हम कोर्ट जाएंगे।
विधायक निर्मला सप्रे का स्थानीय बीजेपी में भी तगड़ा विरोध हो रहा है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आनेवाले रामनिवास रावत की करारी हार के बाद तो ऐसे कार्यकर्ताओं, नेताओं के हौसले और बुलंद हो गए हैं। प्रदेश में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार खुरई विधायक पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह तो स्पष्ट कह चुके हैं कि कांग्रेस से आए नेताओं को वे स्वीकार नहीं कर पाएंगे।