आरक्षण भी नाम मात्र
लखन लाल नरवरिया दृष्टिबाधित है। ब्रेल लिपि से ये ग्रेजुएशन कर चुके हैं। लेकिन नौकरी नहीं है। अब ओवरएज हो चुके हैं। यानि पढ़ाई लिखाई कोई काम नहीं आई, रोजगार की जरूरत है। पप्पू निशात पूरी तरह से नहीं देख पाते है। ब्रेल लिपि से कॉलेज स्तर पर शिक्षा पा चुके हैं। रोजगार के लिए प्राइवेट काम के भरोसे हैं। संस्थाओं में जो आरक्षण दिया गया वह भी नाम मात्र है।
डॉ. हरगोविंद यादव, अध्यक्ष कल्याण धारा जन सेवा समिति
अंकित शुक्ला, डिसेबल ट्रस्ट