दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सर्वे में पाया कि चार से दस साल की उम्र के बच्चे तय सीमा से तीन गुना अधिक चीनी खा रहे हैं। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है। इस पर स्कूल लेवल पर कंट्रोल करने बोर्ड छात्रों के टिफिनों की निगरानी करेगा।
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स्कूलों में लगने वाले चीनी बोर्ड की निगरानी प्राचार्य-शिक्षकों के साथ विद्यार्थी भी करेंगे। स्कूल मैंनेजमेंट इसके लिए मेन्यू तैयार कर सकता है। इसमें मीठी चीजों की मात्रा तय रहेगी। स्कूलों का चीनी बोर्ड बच्चों के टिफिन में आने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी की उपलब्धता और नियंत्रण पर कार्य करेगा।
15 जुलाई तक स्कूलों में चीनी बोर्ड लगाना जरूरी
ग्रुप ऑफ सीबीएसई स्कूल
भोपाल अध्यक्ष सहोदय चैतन्य सक्सेना का कहना है कि, सीबीएसई के निर्देश के मुताबिक चीनी की मात्रा पर अब नजर रखी जाएगी। इसकी मात्रा जांचने के लिए डायटीशियन से मदद लेंगे। 15 जुलाई तक स्कूलों में चीनी बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा।
सर्वे में इस बात पर जोर
-मीठा, चॉकलेट या अन्य माध्यमों से बच्चे रोजाना 10 से 15 प्रतिशत तक चीनी का सेवन कर रहे हैं। -छोटी उम्र से ही चीनी का अधिक उपयोग करने से उनमें टाइप-2 मधुमेह का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। -4 से 10 साल के बच्चों के भोजन में औसतन 5 फीसदी चीनी की मात्रा होनी चाहिए।