इसके बाद निकाय वहां विकास कार्य कराएगा। अवैध कॉलोनियों का विकास रोकने जिला कलेक्टर एक टास्क फोर्स बनाएंगे। यह हर सप्ताह क्षेत्र का निरीक्षण कर रिपोर्ट देगा। दरअसल, गए नियमों के ड्राट में संशोधन कर नए प्रावधान जोड़े गए हैं। ड्राट को नगरीय विकास एवं आवास संचालनालय ने शासन को भेज दिया है।
50 लाख तक जुर्माना, 10 साल सजा
- अभी अवैध कॉलोनियां बनाने वालों को न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 10 साल कारावास की सजा का प्रावधान है। नए नियमों में इसे बढ़ाकर न्यूनतम 7 साल और अधिकतम 10 साल की सजा किया गया है।
- अवैध कॉलोनियां बनाने वालों पर जुर्माना अधिकतम 10 लाख रुपए तक ही है। इसे बढ़ाकर 50 लाख किया जा रहा है।
- अवैध कॉलोनियों के खिलाफ हर कार्रवाई के लिए समय सीमा तय की जा रही है। यदि संबंधित अधिकारी कार्रवाई नहीं करते तो शासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
- पार्षद को सूचना और कार्रवाई कराने अधिकृत किया जाएगा।
- वैध कॉलोनियों की अनुमतियां आसान बनाने उनकी भी समय सीमा तय की जा रही है।
इन्हें माना जाता है अवैध कॉलोनी
नगर तथा ग्राम निवेश से भूमि विकास की अनुज्ञा, नक्शे का अनुमोदन जरूरी है। सक्षम प्राधिकारी से कॉलोनाइजर का पंजीयन, नक्शे के अनुसार सक्षम प्राधिकारी से विकास कार्य की अनुज्ञा प्राप्त करनाअनिवार्य है। यह नहीं होने पर कॉलोनी अवैध मानी जाती है।
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इसलिए बढ़ रहे हौसले
ड्राट शासन स्तर पर विचार होकर यह सचिव स्तरीय समिति के पास जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। नगरीय विकास के अपर आयुक्त परीक्षित झाड़े के अनुसार शासन स्तर पर विचार के दौरान भी ड्राट में कुछ और संशोधन हो सकते हैं। अवैध कॉलोनियों से निपटने वर्तमान में लागू नियमों में अधिकतम 7 साल तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन प्रदेश में किसी भी अवैध कॉलोनी विकसित करने वाले को 3 साल की भी सजा नहीं हुई।
नियम यह है कि नगरीय निकाय को अवैध कॉलोनी चिह्नित कर पुलिस में केस दर्ज कराना है। पुलिस जांच कर कोर्ट में चालान पेश करेगी। कोर्ट फैसला सुनाएगी, लेकिन प्रारंभिक स्तर से ही पहल नहीं होती। अवैध निर्माण भले गिरा दिए जाएं, लेकिन केस दर्ज नहीं कराया जाता। इससे अवैध कॉलोनियां बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं।