आईएएस नियाज खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि इस्लाम तो अरब का धर्म है। यहां तो सभी हिंदू थे। हिंदू से लोग मुस्लिम बनाए गए थे। इसलिए भले ही धर्म अलग अलग हों लहू तो एक है। सभी एक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। अगर जो मुस्लिम अरब के लोगों को आदर्श मानते हैं वे पुनर्विचार करें। सर्वप्रथम हिंदुओं को अपना भाई माने बाद में अरब को।
हाल ही में उन्होंने एएनआई से बातचीत में बताया था कि यह एक हिंदू देश है, यहाँ विदेशी शासक आए, धर्मांतरण हुआ, फिर ईसाई, इस्लाम और अन्य धर्मों का विस्तार हुआ। मूल रूप से हम सभी भाई हैं, आज विभिन्न धार्मिक विश्वास हैं लेकिन मूल रूप से सभी यहीं से परिवर्तित हुए। सिर्फ 1-2 प्रतिशत लोग ही अरब देशों से यहाँ बस सकते हैं, अन्यथा अधिकांश लोग भारतीय मूल के हैं। मूल रूप से, मैं मानता हूँ कि देश में नफरत नहीं फैलनी चाहिए, सभी को प्रेम और शांति के साथ रहना चाहिए।
यहां सभी सनातन धर्म का हिस्सा थे और बाद में लोग परिवर्तित हुए। हालांकि हर धर्म का अपना महत्व है। अगर कोई मेरी जीन का परीक्षण प्रयोगशाला में करता है तो वह अरब देशों से मेल नहीं खाएगा, यह भारत से मेल खाएगा। यह सब जगह पढ़ाया जाता है कि विदेशी आक्रमणकारी आए और धर्मांतरण हुआ। सभी ने हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन किया, मैंने यह अपने ट्वीट में कहा है। 90 प्रतिशत से अधिक लोग दूसरे धर्मों में परिवर्तित हुए हैं।
IAS अधिकारी ने आगे कहा कि उन्होंने संविधान की सीमाओं के भीतर अपने विचार व्यक्त किए हैं। यदि किसी को उनके विचार से असहमत होना है, तो वह संविधानिक तरीके से अपनी असहमति व्यक्त कर सकता है।