हाईकोर्ट ने गत दिसंबर में जहरीले कचरे को न हटाए जाने को दुखद स्थिति करार देते हुए साइट को तुरंत साफ करने और के सुरक्षित निपटारे के निर्देश दिए थे वहीं 6 जनवरी के आदेश में पीथमपुर संयंत्र में कचरा निपटान के बारे में मीडिया को गलत सूचना प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने आदेश जारी करने से पहले कोई एडवाइजरी जारी नहीं की जबकि यह खतरनाक रासायनिक कचरा है। राज्य सरकार के हलफनामे के हवाले से यह भी कहा गया कि पीथमपुर के आसपास लोगों की बस्ती है, जो जहरीले कचरे को जलाने के दौरान निकलने वाली गैसों के दुष्प्रभावों के संपर्क में आ सकते हैं।
तारापुरा गांव के लोगों को स्थानांतरित भी नहीं किया जा रहा। पास ही स्थित गंभीर नदी के पानी के प्रदूषित होने का भी खतरा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विनाशकारी परिणाम उत्पन्न कर सकता है।