सतना के नागौद गांव में 2-3 माह पहले ग्रिफॉन प्रजाति का यह मेहमान परिंदा घायल अवस्था में मिला था। यहां हर साल नवंबर-दिसंबर में यूरेशियाई गिद्ध हजारों किमी की उड़ान भरकर आते हैं। झुंड से बिछड़े घायल गिद्ध को पहले मुकुंदपुर चिडिय़ाघर, फिर भोपाल वन विहार के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया। करीब दो महीनों की देखभाल के बाद उसे छोडऩे का निर्णय पक्षी संरक्षण अधिकारियों ने लिया।
इस रूट से गिद्ध ने शुरू की घर की यात्रा
सैटेलाइट रेडियो कॉलर लगाकर शनिवार को जैसे ही उसे छोड़ा गया कि उसने कुछ ही घंटों बाद अपने देश का रुख अपना लिया। गिद्ध हलाली डेम के जंगलों से उडकऱ सिरोंज लटेरी होते हुए रायसेन जिले के लटेरी गांव पहुंचा। यहां कुछ देर रुकने के बाद सिरोंज, गुना, अशोकनगर से राजस्थान में प्रवेश किया। पड़ोसी राज्य में जोधपुर से होते हुए गिद्ध ने सरहद पार पाकिस्तान में 11वें दिन प्रवेश कर लिया। पक्षी विशेषज्ञ सैटेलाइट रेडियो कॉलर की मदद से उसके लोकेशन पर नजर बनाए हुए हैं।
ऐसे चला अभियान
बचाव
नागौद में कुनबे से बिछडऩे के बाद घायल गिद्ध को पहले मुकुंदपुर फिर वन विहार भोपाल के रेस्क्यू सेंटर में भेजा गया। इलाज
रेस्क्यू सेंटर में 59 दिनों तक गिद्ध की देखभाल की गई, जिससे वह दोबारा उडऩे लायक बन पाया।
आजादी
पूरी तरह स्वस्थ गिद्ध को 29 मार्च को हलाली डैम के जंगल में सोलर बैटरी वाले रेडियो कॉलर के साथ छोड़ा। पाकिस्तान बहावलपुर में डाला डेरा
गिद्ध की लोकेशन ट्रेस करने वाले पक्षी विशेषज्ञों ने बताया कि 11 दिन बार वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर जिले में जा पहुंचा है। यहां लाल सुहानरा राष्ट्रीय उद्यान में यूरेशियन ग्रिफिन बड़ी संख्या में आते हैं। वहां उसने अपन बसेरा जमाया है और संभवत: अपने कुनबे के साथ स्वदेश वापसी करेगा।
एमपी में 7 प्रजाति के गिद्ध
दुनिया में कुल 22 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। भारत में 9 और मध्य प्रदेश में 7 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। मप्र में सफेद, चमर, देशी, पतली चोंच, राज, हिमालयी, यूरेशियाई और काला गिद्ध है।