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भोपाल

एमपी में बनेंगे दो नए कंजर्वेशन रिजर्व, असम से आएंगे गैंडे

MP News: मध्यप्रदेश में पहली बार दो नए कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे। बैतूल के ताप्ती क्षेत्र में और बालाघाट के सोनेवानी क्षेत्र में। इनमें वन्यप्राणियों व वन क्षेत्रों के संरक्षण के काम होंगे।

भोपालMay 22, 2025 / 09:02 am

Avantika Pandey

Tapti and Sonwani will become conservation reserves

ताप्ती और सोनेवानी बनेंगे कंजर्वेशन रिजर्व(सोर्स: सीएम मोहन यादव X)

MP News: मध्यप्रदेश में पहली बार दो नए कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे। बैतूल के ताप्ती क्षेत्र में और बालाघाट के सोनेवानी क्षेत्र में। इनमें वन्यप्राणियों व वन क्षेत्रों के संरक्षण के काम होंगे। स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इन पर मौजूदा टाइगर रिजर्वों के कड़े नियम लागू नहीं होंगे। वहीं मध्यप्रदेश में पर्यटकों(MP Tourism) को असम के गैंडे भी देखने को मिलेंगे।
जैसे, आम नागरिक आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। मौजूदा टाइगर रिजर्वों की तरह अनुमति नहीं लेनी होगी। वन ग्रामों को विस्थापित भी नहीं किया जाएगा। इन प्रस्तावों को बुधवार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव(CM Mohan Yadav) की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी गई। इसके अलावा रिजर्वों व सामान्य वन क्षेत्रों में जरूरत के अनुरूप सड़क, बिजली स्टेशन, पेयजल व्यवस्था के तहत बिछाई जाने वाली पाइपलाइनों से जुड़े कामों को मंजूरी दी गई।
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जल्द जारी होगी अधिसूचना

1. ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व(Tapti conservation reserves), बैतूल: कुल 250 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र।

2. सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व(Sonwani conservation reserves), बालाघाट: 163.195 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र।

असम से लाएंगे गैंडे

मध्यप्रदेश में पर्यटकों को गैंडे भी देखने को मिलेंगे। ये असम से लाए जाएंगे। बोर्ड की बैठक में तय किया गया कि गेंडे लाने की पूर्व से जारी प्रक्रिया को रोका नहीं जाएगा। यदि असम खुले जंगल के लिए गैंडे नहीं दे रहा है तो लाए जाने वाले गैंडे को चिड़ियाघरों में ही रखा जाएगा। गैंडे लाने के बदले मध्यप्रदेश के दूसरे वन्यजीवों को दिया जाएगा।
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मंथन करो और जनप्रतिधियों के सुझाव लो

इंदौर व बड़वाह के पास देवी अहिल्या बाई होल्कर और हरदा के पास डॉ. राजेंद्र प्रसाद वन्यजीव अभयारण्य बनाया जाना है। इनके प्रस्ताव बैठक में पेश किए थे, लेकिन सीएम ने फिलहाल इन्हें होल्ड कर दिया। हालांकि सहमति लगभग तय है, लेकिन कानूनन रूप से मंजूरी नहीं मिली। सूत्रों के मुताबिक विभाग के अधिकारियों ने देवी अहिल्या बाई अभयारण्य को लेकर संबंधित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों से व्यापक स्तर पर संवाद नहीं किया। इस कारण उन्होंने सहमति पत्र नहीं भेजे।
इसी तरह डॉ. राजेंद्र प्रसाद अभयारण्य के प्रस्ताव में भी गफलत की गई। मुयमंत्री ने इन प्रस्तावों पर ठीक से मंथन करने, जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेने, उनके सुझावों को शामिल करने के बाद प्रस्ताव दोबारा रखने के निर्देश दिए।

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