सीएम ने बताया कि हाल ही में मंदसौर जिले में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को कृषि के आधुनिक यंत्रों और तकनीक से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सीतामऊ में हुए कृषि उद्योग समागम के अनुभवों के आधार पर आगे के कृषि उद्योग समागमों की तैयारी करें। उन्होंने खेतों में नरवाई जलाने से रोकने के प्रयास करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। किसानों को हैप्पी सीडर कृषि यंत्र का उपयोग करने के लिए जागरूक बनाने और हर ग्राम पंचायत में इसकी व्यवस्था करने को भी कहा।
बैठक में बताया गया कि राज्य शासन की प्रगतिशीलता से प्रदेश में उत्पादित होने वाली 3 फसलों को बहुत जल्द जीआई-टैग मिल जाएगा। कृषि सचिव एम सेल्वेन्द्रम ने बताया कि डिंडोरी जिले की नागदमन मकुटकी, सिताही कुटकी और बैंगनी अरहर की फसल को जीआई टैग परीक्षण के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इन फसलों को जल्द ही जीआई टैग प्राप्त होने की उम्मीद है।
जीआई टैग से क्या होगा फायदा
- क्षेत्रीय फसलों को मिलेगी वैश्विक पहचान:
जीआई टैग से तीनों क्षेत्रीय फसलों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। इससे बिक्री बढेगी जिससे किसानों को खासा लाभ होगा। - प्रमाणिकता की गारंटी:
जीआई टैग से फसल की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। इससे यह साबित होता है कि फसल स्थापित मानकों के अनुरूप है और वास्तव में उसी क्षेत्र से आई है। - किसानों के लिए आर्थिक लाभ:
जीआई टैग, किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में सबसे ज्यादा मददगार साबित होता है।