Budget 2025: कपड़ा होगा सस्ता, बजट में कपास पैदावार के लिए 5 साल का मिशन किसान : 66 लाख किसानों के लिए खुशखबर
- किसान क्रेडिट कार्ड(Union Budget 2025) की ऋण सीमा बढ़ाकर पांच लाख करने से मप्र के करीब 66 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे। इन्हें खेती-किसानी में आसानी होगी। साहूकारों के जाल में फंसने से बचेंगे।
- बजट में पीएम किसान सम्मान निधि बढ़ाने की उम्मीद पूरी नहीं हुई। यदि बढ़ती तो प्रदेश के 80 लाख से ज्यादा किसानों को लाभमिलता। जो राशि वर्तमान में मिल रही है, उसी से संतोष करना होगा।
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- 50 प्रमुख पर्यटन स्थलों को राज्यों की भागीदारी के साथ चैलेंज मोड में विकसित किया जाएगा। इसमें मप्र के 17 से ज्यादा स्थल शामिल हो सकते हैं।
- बाघ हाथी संरक्षण की मप्र को जरूरत है। इसके तहत 290 करोड़ रखे हैं। पिछली बार 245 करोड़ थे।
नदी जोड़ो : केन-बेतवा के लिए 2400 करोड़
- केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए 2400 करोड़ का प्रावधान किया गया है। पिछली बार दो हजार करोड़ थे। योजना से एमपी के 10 और यूपी के चार जिलों को लाभ मिलेगा।
- परियोजना की आधारशिला रखी जा चुकी है। अब तक डूब क्षेत्र के गांवों में लगभग 300 करोड़ का मुआवजा वितरित हो चुका है।
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- वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने केंद्र 50 हजार अटल टिकटिंग लैब खोलेगा। ये पांच वर्ष में खोली जाएंगी। मप्र के हिस्से में पांच हजार से ज्यादा आएंगी।
- सूबे के 94 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल हाईटेक होंगे। ब्रॉडबैंड कनेक्शन दिए जाएंगे।
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- पीएम स्वनिधि योजना के तहत मप्र ने अन्य राज्यों की तुलना में 12 लाख स्ट्रीट वेंडरों को लाभ देकर अच्छा काम किया। नवाचारों के साथ योजना जारी रहेगी। शेष हितग्राहियों को लाभ मिलेगा।
- एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ किया है। स्टार्टअप को 20 करोड़ तक सहायता मिल सकेगी। मप्र के कई बंद पड़े नवाचारों को गति निलेगी।
- 1768 प्राथमिक स्वास्थ्य केंदों में इंटरनेट की सुविधा से अमले को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी जानकारी समझने में मदद मिलेगी।
- मप्र में 17 सरकारी, 13 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। एमबीबीएस की कुल 4875 सीटें हैं। दो साल में आठ नए कॉलेज शुरू होने के बाद सीटें 5600 हो सकती हैं।
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उत्पादकता मिशन : निमाड़ अंचल में इतराएगी ‘सफेद सोने’ की खेती
केंद्र सरकार ने 2025-26 के बजट(Union Budget 2025) में कपास उत्पादकता मिशन शुरू करने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश पर इसका सकारात्मक असर पड़ना तय है। खासकर मालवा-निमाड़ क्षेत्रों में उत्पादन को गति मिलेगी। अभी मालवा के इंदौर, उज्जैन, रतलाम, धार, मंदसौर, नीमच, निमाड़ के खरगोन, खंडवा, बड़वानी, बुरहानपुर और महाकौशल क्षेत्र के छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में कपास की खेती की जाती है। सालाना करीब 20 लाख कपास गठान का उत्पादन होता है। मालवा अपने कपास के उत्पादन के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। अमरीका, ब्रिटेन, वियतनाम, चीन जैसे देशों में मप्र की कपास की मांग होती है। उत्पादक किसानों को योजनाओं का लाभ मिलने, सहायता और प्रशिक्षण मिलने से कपास उत्पादन में उछाल आएगा। निर्यात भी बढ़ने की संभावना है।
दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर मप्र की बढ़ेगी क्षमता
बजट(Union Budget 2025) में दलहन उत्पादन पर जोर देते हुए मिशन शुरू करने का जिक्र है। दलहन और तिलहन उत्पादन में मन क्रमशः 24%, 25% योगदान देकर पहले स्थान पर है। मिशन से इस क्षेत्र में काम करने वाले किसानों को और गति मिलेगी।