porta cabin scheme scam: किसी की स्वीकृति भी लेना जरूरी नहीं समझा
यह राशि फर्मों को
पोटाकेबिन के लिए अलग-अलग तरह की सामग्री खरीदी के नाम पर की गई है। जांच में सामने आया कि न तो बिल, न कोई प्रमाणित दस्तावेज, फिर भी फर्मों के खाते में मोटी रकम डाल दी गई। मामला उजागर हुआ तो कलेक्टर संबित मिश्रा ने सख्त तेवर दिखाए और दो कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दे दिए है। मामले में एसडीएम स्तर पर जांच की गई जिसमें अधीक्षकों ने माना कि उन्होंने दबाव में आकर बिना बिल के नोटशीट पर साइन किए।
समग्र शिक्षा के सहायक जिला परियोजना अधिकारी पुरुषोत्तम चन्द्राकर और डीईओ कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड दो संजीव मोरला ने जिला शिक्षा अधिकारी से स्वीकृति तक नहीं ली और सीधे अधीक्षकों से भुगतान करवाया। मामले में आरोपी संजीव मोरला ने खुद माना कि उन्होंने फर्मों को पेमेंट कराया है। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने अधीक्षकों पर दबाव डालकर बिना बिल के भुगतान करवा दिए। इतना ही नहीं, ऊपर से किसी की स्वीकृति भी लेना जरूरी नहीं समझा।
42 लाख इन फर्मों के खाते में सीधे ट्रांसफर
बीजापुर ब्लॉक के पोटाकेबिन में काम करने वाले कृत्विक इंटरप्राइजेस, एसबी कंस्ट्रक्शन और विमला इंटरप्राइजेस को 26 लाख 60 हजार 715 रुपए का भुगतान किया गया। भोपालपटनम ब्लॉक में भी इन्हीं फर्मों को 16 लाख 17 हजार 760 रुपए दिए गए। कुल 42 लाख 78 हजार 475 रुपए का भुगतान बिना बिल देखे या लगाए कर दिया गया। इन फर्मों ने क्या सप्लाई किया और किस स्तर किया वह भी नहीं देखा गया। पोटाकेबिन बने हुए हैं भ्रष्टाचार का जरिया
porta cabin scheme scam: जिले के चार ब्लॉक में कुल 28 पोटाकेबिन संचालित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की निगरानी में इनका संचालन होता है। शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के तहत इनके लिए फंड जारी होता है और उसी में बंदरबांट किया जाता है। सालों से पोटाकेबिन
भ्रष्टाचार का जरिया बने हुए हैं। ब्लॉकों के राशन से लेकर उनके लिए खरीदे जाने वाले अलग-अलग तरह के सामानों में भ्रष्टाचार होता है। प्रदेश से जिला स्तर तक खेल होता है। सालों बाद जिले में संचालित पोटाकेबिन के मामले में जांच हुई और लाखों का भ्रष्टाचार सामने आया।