चयनित शिक्षक अब आशंकित हैं कि कहीं सरकार एक बार फिर पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द कर नई परीक्षा आयोजित न कर दे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरकार का रुख अंग्र्रेजी माध्यम के इन स्कूलोें के प्रति क्या रहने वाला है, यह अभी पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है। शिक्षा में नवाचार के प्रयास इस तरह अधर में रहने लगें तो बच्चों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। यह भी समझना होगा कि सरकार जब अपने स्तर पर कोई चयन प्रक्रिया करती है तो वह महज एक प्रशासनिक प्रक्रिया ही नहीं होती। शिक्षकों के पदस्थापन में देरी से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बाधित होना स्वाभाविक है। शिक्षा जैसी संवेदनशील और आधारभूत व्यवस्था में ऐसी ढिलाई अनुचित है। सरकार को तत्काल स्पष्ट कार्ययोजना घोषित करने के साथ शिक्षकाें की तैनाती सुनिश्चित करनी चाहिए।