याचिकाकर्ता की मां नगर निगम में नियमित कर्मचारी थीं, जिनकी मृत्यु 21 अक्टूबर 2020 को हुई थी। उनके बेटे ने 22 फरवरी 2021 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन नगर निगम ने 13 सितंबर 2023 को यह कहकर उनका आवेदन खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पिता पहले से निगम में कार्यरत हैं।
हाईकोर्ट ने भी नियुक्ति का पात्र नहीं पाया
इसके बाद निगमकर्मी के बेटे ने
हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि एक सहानुभूतिपूर्ण व्यवस्था है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति केवल उन मामलों में लागू होती है, जहां परिवार पूरी तरह से आयहीन हो।
न्यायमूर्ति बीडी गुरु ने कहा, क्योंकि याचिकाकर्ता के पिता सरकारी कर्मचारी हैं, इसलिए इस मामले में अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं बनती।ऽ नगर निगम की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने छत्तीसगढ़ शासन के 29 अगस्त 2016 के परिपत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला दिया। कोर्ट ने इसे स्वीकार किया।