चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा, रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि अनुशासनात्मक जांच सक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई है और प्राधिकारी की क्षमता के संबंध में कोई आरोप नहीं है। प्रारंभ में, सेवानिवृत्ति तक संचयी प्रभाव से उसके वर्तमान
वेतनमान से दो वेतन वृद्धि कम करने का दंड लगाया गया था, जिसे अपीलीय प्राधिकारी द्वारा संचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए संशोधित किया गया था। इस प्रकार, लगाया गया दंड न तो चौंकाने वाला है और न ही असंगत है।
Bilaspur High Court: खराब होने पर उपयोग के लायक नहीं रहेगा धान
समिति ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार द्वारा धान न उठाए जाने से न केवल समिति को आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि धान भी खराब हो रहा है। लंबे समय तक धान का उचित तरीके से भंडारण न होने के कारण चूहों, कीड़ों और बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान हो सकता है, जिससे यह सार्वजनिक वितरण या बिक्री के लायक नहीं रहेगा। इससे सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी और सरकार को राजस्व का सीधा नुकसान होगा। राज्य सरकार ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता समिति मौसम और धान के स्वाभाविक सूखने का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है, और इस विषय में निर्णय जल्द लिया जाएगा। हाईकोर्ट ने समितियों से धान का उठाव न होने से संभावित नुकसान पर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वित्तीय नुकसान और प्राकृतिक खतरों से बचने के लिए खरीद केंद्रों से धान का स्टॉक समय पर उठाना राज्य का कर्तव्य है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कुलहरिया (याचिकाकर्ता समिति) में संग्रहित धान को समय पर उठाए। ताकि लंबे समय तक भंडारण से होने वाले आर्थिक नुकसान और प्राकृतिक क्षति से बचा जा सके। जस्टिस अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की एकलपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सरकार की कल्याणकारी भूमिका को देखते हुए यह उसकी जिमेदारी है कि वह सरकारी नीति और समझौतों के अनुसार खरीदे गए धान को तय समय पर उठाए।
मार्कफेड के जवाब पर मानकों अनुसार उठाव के निर्देश
धान उठाने की जिमेदार एजेंसी मार्कफेड ने बताया कि उठाव में कोई बाधा नहीं है और केंद्र व राज्य दोनों से निर्देश प्राप्त हैं। केवल थोड़ी मात्रा में धान बाकी है, जिसे भी उठाया जाएगा। कोर्ट ने यह मानते हुए कि बारिश का मौसम नजदीक है और धान के खराब होने की संभावना है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह समिति से धान का वजन और गुणवत्ता की जांच के बाद उठाव करे और इसकी पावती याचिकाकर्ता को दे। याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धान उठाते समय उसका वास्तविक वजन ही मान्य होगा। यह है मामला?
Bilaspur High Court: रायपुर जिले में
एसबीआई शाखा में कार्यरत अपीलकर्ता कर्मचारी पर बैंक की एक महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद जांच शुरू की गई। जांच अधिकारी ने जांच के दौरान पाया कि उक्त कर्मचारी का ग्राहक, कर्मचारियों और सहकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार, कर्मचारियों-ग्राहकों के यौन उत्पीड़न, ग्राहक सेवा में देरी।
महिला ग्राहकों पर अपमानजनक टिप्पणी करने, आदतन देर से आने और बहस करने वाला रवैया था। उन्होंने शाखा में नकारात्मक माहौल बनाया जिससे बैंक का व्यवसाय प्रभावित हुआ और बैंक का अनुशासन बाधित हुआ। आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।