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बिलासपुर

मकान मालिक-किराएदार के बीच विवाद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, केस ट्रिब्यूनल को वापसभेजकर की याचिका निराकृत

याचिकाकर्ताओं ने रामप्रसाद से घर खरीदने के बाद उक्त घर उसी को किराए पर दे दिया, जिसमें दसोदा बाई किराएदार के तौर दर्शाई गई थी। 4,000 रुपए मासिक किराए पर घर दिया गया था।

बिलासपुरApr 15, 2025 / 09:00 am

Laxmi Vishwakarma

CG News: मकान मालिक-किराएदार के बीच विवाद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, केस ट्रिब्यूनल को वापस भेजकर की याचिका निराकृत
CG News: हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मकान मालिक और किराएदार के विवाद को ट्रिब्यूनल को वापस भेजकर याचिका निराकृत कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि पक्षकार फिर से नया आवेदन दे सकते हैं। प्राधिकरण को कानून के मुताबिक पूरी प्रक्रिया अपनाकर निष्पक्ष तरीके से फैसला देना होगा। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि उसने अभी किसी के पक्ष या खिलाफ कोई राय नहीं दी है।

CG News: हाई कोर्ट में याचिका दायर

प्रकरण के अनुसार याचिकाकर्ता ने जिससे मकान खरीदा उसे ही किराए पर दे दिया। विवाद बढ़ने पर मकान खाली कराने का नोटिस दिया। इसके बाद भी जब किराएदार ने मकान खाली नहीं किया तब मकान मालिक ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया। मामले की सुनवाई के बाद प्राधिकरण ने मकान मालिक के पक्ष में फैसला देते हुए किराएदार को मकान खाली करने और बकाया किराया के रूप में 28,000 रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया।
किराएदार दशोदा बाई धीवर ने प्राधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील की। ट्रिब्यूनल ने प्राधिकरण के फैसले को रद्द कर दिया। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती देते हुए मकान मालिक कृष्ण कुमार कहार व शोभा कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिका की सुनवाई के बाद मामले को किराया नियंत्रण प्राधिकरण को वापस भेजते हुए कानून के अनुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है।
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यह है मामला

CG News: याचिकाकर्ताओं ने रामप्रसाद से घर खरीदने के बाद उक्त घर उसी को किराए पर दे दिया, जिसमें दसोदा बाई किराएदार के तौर दर्शाई गई थी। 4,000 रुपए मासिक किराए पर घर दिया गया था। हालांकि दशोदा बाई शुरू से ही किराया चुकाने में विफल रही और याचिकाकर्ता द्वारा बार-बार अनुरोध के बावजूद उसने घर खाली करने से मना कर दिया।
उक्त तथ्यों के आधार पर, प्राधिकरण ने प्रतिवादी को नोटिस जारी किया। नोटिस प्राप्त होने के बाद,दशोदा बाई उपस्थित हुई और उसने याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए तर्क को अस्वीकार कर कहा कि किसी समझौते के अभाव में याचिकाकर्ता का आवेदन स्वीकार्य नहीं है।

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